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    Sawan Somwar 2025 Date: कब है सावन का अंतिम सोमवार? जानें शुभ मुहूर्त, योग और पूजा विधि

    Updated: Thu, 03 Jul 2025 10:28 AM (IST)

    सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है। इस दौरान भक्त विशेष पूजा करते हैं। सावन सोमवार का व्रत बहुत फलदायी माना जाता है। इस बार सावन का अंतिम सोमवार बहुत ज्यादा शुभ माना जा रहा है। इस दिन (Sawan Somwar 2025 Date) सर्वार्थ सिद्धि योग और ब्रह्म इंद्र योग का भी संयोग बन रहा है तो चलिए इसकी डेट और पूजा विधि जानते हैं।

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    Sawan 2025 Last Monday Date: सावन 2025 कब है अंतिम सोमवार?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन का महीना बेहद पावन माना जाता है। यह भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दौरान भक्त उनकी विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। सावन के सोमवार का व्रत बहुत ही फलदायी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत का पालन करने से भगवान शिव खुश होते हैं और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। वहीं, जब सावन (Sawan Somwar 2025) के सोमवार का इतना ज्यादा महत्व है, तो आइए इस आर्टिकल में सावन का अंतिम सोमवार कब है? जानते हैं।

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    सावन 2025 सोमवार लिस्ट (Sawan 2025 Monday Date)

    • सावन पहला सोमवार 14, जुलाई 2025
    • सावन दूसरा सोमवार 21, जुलाई 2025
    • सावन तीसरा सोमवार 28, जुलाई 2025
    • सावन चौथा सोमवार 4, अगस्त 2025

    सावन 2025 कब है अंतिम सोमवार? (Sawan 2025 Last Monday Date)

    यानी सावन का अंतिम सोमवार 4 अगस्त, 2025 को पड़ेगा, जो बेहद शुभ माना जा रहा है। इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का पावन संयोग है। चंद्रमा अनुराधा नक्षत्र और चित्रा नक्षत्र से वृश्चिक राशि पर गोचर करेंगे। इसके साथ ही इस दिन ब्रह्म और इंद्र योग का संयोग भी रहेगा। ऐसे में साधक पूरे दिन कभी भी पूजा कर सकते हैं। हालांकि ब्रह्म मुहूर्त में पूजा करना सबसे उत्तम माना जाता है।

    पूजा विधि (Sawan 2025 Last Monday Puja Vidhi)

    • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
    • पूजा शुरू करने से पहले व्रत का संकल्प लें।
    • एक वेदी पर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें।
    • शिवलिंग का गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करें।
    • इसके बाद शुद्ध जल से अभिषेक करें।
    • भगवान शिव को बेलपत्र, चंदन, अक्षत, धतूरा, आक के फूल, भांग, सफेद फूल, फल और मिठाई अर्पित करें।
    • माता पार्वती को सोलह शृंगार की सामग्री चढ़ाएं।
    • घी का दीपक और धूप जलाएं।
    • 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करें और शिव चालीसा का पाठ करें।
    • सावन सोमवार व्रत की कथा सुनें या पढ़ें।
    • अंत में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
    • भगवान को सात्विक भोग लगाएं और उसे प्रसाद के रूप में बांटें।
    • पूजा में हुई भूल के लिए भगवान शिव से क्षमा-प्रार्थना करें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।