Aaj Ka Panchang 31 March 2025: चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन बन रहे हैं कई अद्भुत संयोग, नोट करें शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार आज चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि सुबह 09 बजकर 14 मिनट तक रहेगी। इस शुभ तिथि पर कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस दौरान कार्य की शुरुआत करने से सफलता प्राप्त होती है। आइए आज के दिन की शुरुआत करने से पहले पंडित हर्षित जी से आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang 31 March 2025) और राहुकाल का समय जानते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Aaj Ka Panchang Chaitra Navratri 2025 Day 2: आज चैत्र नवरात्र का दूसरा दिन है। यह दिन पूर्ण रूप से ब्रह्मचारिणी माता को समर्पित है। ऐसा माना जाता कि जो साधक इस दिन भाव के साथ पूजा-पाठ करते हैं, उन्हें बुद्धि, ज्ञान, सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में शुभता आती है। आज के दिन ( 31 March 2025 Panchang) की शुरुआत करने से पहले यहां दिए गए शुभ व अशुभ समय को अवश्य जान लें, जो इस प्रकार हैं -
Aaj Ka Panchang 31 March 2025: आज का पंचांग -
पंचांग के अनुसार, आज चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि सुबह 09 बजकर 14 मिनट तक रहेगी।
ऋतु - वसंत
चन्द्र राशि - मेष
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 18 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 41 मिनट पर
चन्द्रोदय - सुबह 07 बजकर 14 मिनट पर
चन्द्रास्त - रात 09 बजकर 03 मिनट पर
शुभ मुहूर्त
रवि योग - दोपहर 01 बजकर 45 मिनट से 02 बजकर 08 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 40 मिनट से 05 बजकर 26 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 00 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 19 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 37 मिनट से 07 बजकर 00 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 02 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक।
अशुभ समय
राहु काल - सुबह 07 बजकर 47 मिनट से 09 बजकर 21 मिनट तक
गुलिक काल - दोपहर 02 बजकर 03 मिनट से शाम 03 बजकर 26 मिनट तक।
दिशा शूल - पूर्व
ताराबल
अश्विनी, भरणी, कृत्तिका, मृगशिरा, पुनर्वसु, आश्लेषा, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, विशाखा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती।
चन्द्रबल
मेष, मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, कुंभ।
करें इन मंत्रों का जाप
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:।।
- ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी।
सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते।।
- सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुते।।
- या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
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