Aaj Ka Panchang 25 April 2025: प्रदोष व्रत पर बन रहे हैं कई शुभ योग, जानें शुभ मुहूर्त और पढ़ें पंचांग
पंचांग के अनुसार आज वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि सुबह 11 बजकर 52 मिनट तक रहेगी। इस शुभ तिथि पर कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस दौरान कार्य की शुरुआत करने से सफलता प्राप्त होती है। आइए आज के दिन की शुरुआत करने से पहले पंडित हर्षित जी से आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang 25 April 2025) और राहुकाल का समय जानते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Aaj Ka Panchang 25 April 2025: आज प्रदोष व्रत मनाया जा रहा है। यह दिन भगवान शिव को समर्पित है। ऐसा माना जाता कि जो साधक इस दिन भाव के साथ पूजा-पाठ करते हैं, उन्हें बुद्धि, ज्ञान, सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जीवन में शुभता आती है। आज के दिन (Pradosh Vrat 2025 Panchang) की शुरुआत करने से पहले यहां दिए गए शुभ व अशुभ समय को अवश्य जान लें, जो इस प्रकार हैं -
Aaj Ka Panchang 25 April 2025: आज का पंचांग -
पंचांग के अनुसार, आज वैशाख महीने के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि सुबह 11 बजकर 52 मिनट तक रहेगी।
ऋतु - वसंत
चन्द्र राशि - मीन
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 05 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 50 मिनट पर
चन्द्रोदय - रात 12 बजकर 32 मिनट पर
चन्द्रास्त - सुबह 10 बजकर 20 मिनट पर
शुभ मुहूर्त
अमृत काल - देर रात 02 बजकर 08 मिनट से 03 बजकर 35 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 19 मिनट से 05 बजकर 02 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 11 बजकर 53 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 23 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 52 मिनट से 07 बजकर 13 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 40 मिनट तक।
अशुभ समय
राहु काल - सुबह 10 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 23 मिनट तक
गुलिक काल - सुबह 07 बजकर 39 मिनट से 09 बजकर 14 मिनट तक।
दिशा शूल - पश्चिम
ताराबल
भरणी, रोहिणी, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती।
चन्द्रबल
वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर, मीन।
करें इन मंत्रों का जाप
- ॐ लक्ष्मी नम:।।
- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नमः।।
- पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम।।
- ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:।।
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अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।
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