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    Aaj ka Panchang 23 November 2025: रविवार के दिन बन रहे कई मंगलकारी योग, यहां पढ़ें राहुकाल का समय

    Updated: Sun, 23 Nov 2025 06:00 AM (IST)

    Aaj ka Panchang 23 नवंबर 2025 के अनुसार, आज यानी 23 नवंबर को सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जा रही है। सूर्य देव को सुबह अर्घ्य देना शुभ माना जाता है। इससे साधकों को शुभ फल की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइए एस्ट्रोलॉजर आनंद सागर पाठक से जानते हैं आज का पंचांग।

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    Aaj ka Panchang 23 November 2025: रविवार के शुभ-अशुभ योग  

    आनंद सागर पाठक, एस्ट्रोपत्री। आज यानी 23 नवंबर को मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है। इस तिथि पर रविवार पड़ रहा है। सनातन धर्म में रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सूर्य देव की पूजा करने से कारोबार में सफलता प्राप्त होती है। साथ ही रुके हुए काम पूरे होते हैं। इस दिन कई योग का निर्माण भी हो रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 23 November 2025) के बारे में।

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    तिथि: शुक्ल तृतीया
    मास पूर्णिमांत: मार्गशीर्ष
    दिन: रविवार
    संवत्: 2082

    तिथि: शुक्ल तृतीया-सायं 07 बजकर 24 मिनट तक
    योग: धृति- दोपहर 12 बजकर 09 मिनट तक
    करण: गरज - सायं 07 बजकर 24 मिनट तक
    करण: वणिज - पूर्ण रात्रि

    सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

    सूर्योदय: प्रातः 06 बजकर 05 मिनट पर
    सूर्यास्त: सायं 05 बजकर 25 मिनट पर
    चंद्रोदय: प्रातः 09 बजकर 31 मिनट पर
    चंद्रास्त: सायं 07 बजकर 37 मिनट पर

    सूर्य राशि: वृश्चिक
    चन्द्रमा की राशि: धनु

    आज के शुभ मुहूर्त

    अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक
    अमृत काल: दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से दोपहर 02 बजकर 07 मिनट तक

    आज के अशुभ समय

    राहुकाल: सायं 04 बजकर 05 मिनट से सायं 05 बजकर 25 मिनट तक
    गुलिकाल: दोपहर 02 बजकर 46 मिनट से सायं 04 बजकर 05 मिनट तक
    यमगण्ड: दोपहर 12 बजकर 07 मिनट से दोपहर 01 बजकर 27 मिनट तक

    आज का नक्षत्र

    आज चंद्रदेव मूल नक्षत्र में रहेंगे।
    मूल नक्षत्र: सायं 07 बजकर 28 मिनट तक।
    सामान्य विशेषताएं: क्रोधी, स्थिर मन, अनुशासनप्रिय, आक्रामक, गंभीर व्यक्तित्व, उदार, मिलनसार, दानशील, ईमानदार, कानून का पालन करने वाले, अहंकारी और बुद्धिमान
    नक्षत्र स्वामी: केतु देव
    राशि स्वामी: बृहस्पति देव
    देवता: निरति (विनाश की देवी)
    प्रतीक: पेड़ की जड़े

    सूर्य मंत्र

    1. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।

    2. जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम ।

    तमोsरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोsस्मि दिवाकरम ।।

    3. ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च ।

    हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।

    4. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।

    5. ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात ।।

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