Aaj Ka Panchang 10 February 2025: रवि योग समेत बन रहे हैं आज ये शुभ योग, नोट करें शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार आज माघ महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि शाम 06 बजकर 57 मिनट तक रहेगी। इस शुभ तिथि पर कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस दौरान कार्य की शुरुआत करने से सफलता प्राप्त होती है। आइए आज के दिन की शुरुआत करने से पहले पंडित हर्षित जी से आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang 10 February 2025) और राहुकाल का समय जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Aaj Ka Panchang 10 February 2025: आज सोमवार का दिन है। यह दिन पूर्ण रूप से शिव जी को समर्पित है। ऐसा माना जाता कि जो साधक इस दिन भाव के साथ पूजा-पाठ करते हैं, उन्हें बुद्धि, ज्ञान, सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में शुभता आती है। आज के दिन (10 February Panchang) की शुरुआत करने से पहले यहां दिए गए शुभ व अशुभ समय को अवश्य जान लें, जो इस प्रकार हैं -
Aaj Ka Panchang 10 February 2025: आज का पंचांग -
पंचांग के अनुसार, आज माघ महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि शाम 06 बजकर 57 मिनट तक रहेगी।
ऋतु - वसंत
चन्द्र राशि - मिथुन
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय - सुबह 07 बजकर 02 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 10 मिनट पर
चन्द्रोदय - दोपहर 04 बजकर 06 मिनट पर
चन्द्रास्त - सुबह 06 बजकर 27 मिनट पर
शुभ मुहूर्त
सर्वार्थ सिद्धि योग - शाम 06 बजकर 01 मिनट से अगले दिन सुबह 07 बजकर 03 मिनट तक
रवि योग - शाम 06 बजकर 01 मिनट से अगले दिन सुबह 07 बजकर 03 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त - 05 बजकर 20 मिनट से 06 बजकर 12 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 26 मिनट से 03 बजकर 10 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 05 मिनट से 06 बजकर 31 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 09 मिनट से 01 बजकर 01 मिनट तक।
अशुभ समय
राहु काल - सुबह 08 बजकर 34 मिनट से शाम 10 बजकर 03 मिनट तक
गुलिक काल - दोपहर 02 बजकर 07 मिनट से 03 बजकर 26 मिनट तक।
दिशा शूल - पूर्व
ताराबल
भरणी, रोहिणी, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी, हस्त, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, पूर्वाषाढ़ा, श्रवण, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती।
चन्द्रबल
मेष, मिथुन, सिंह, कन्या, धनु, मकर।
भगवान शिव पूजन मंत्र
1. ऊँ नमः शिवाय॥
2. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
3. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
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