Aaj Ka Panchang 09 May 2025: प्रदोष व्रत पर बन रहे हैं कई शुभ योग, पढ़ें दैनिक पंचांग
वैदिक पंचांग के अनुसार आज वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि दोपहर 02 बजकर 56 मिनट तक रहेगी। फिर त्रियोदशी शुरू हो जाएगी। एस्ट्रोपत्री डॉटकॉम के पंडित आनंद सागर पाठक के अनुसार दशमी तिथि के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। आइए पढ़ते हैं आज का पंचांग।

आनंद सागर पाठक, एस्ट्रोपत्री। Aaj Ka Panchang 09 May 2025: आज प्रदोष व्रत का पर्व मनाया जा रहा है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। ऐसा माना जाता कि जो साधक इस दिन भाव के साथ पूजा-अर्चना करते हैं, उन्हें बुद्धि, ज्ञान, सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जीवन में शुभता आती है। आज के दिन (Pradosh Vrat 2025 Panchang) की शुरुआत करने से पहले, आइए यहां दिए गए शुभ व अशुभ समय को अवश्य जान लें, जो इस प्रकार हैं -
Aaj Ka Panchang 09 May 2025: आज का पंचांग -
पंचांग के अनुसार, आज वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि दोपहर 02 बजकर 56 मिनट तक रहेगी। फिर त्रियोदशी शुरू हो जाएगी।
- ऋतु - ग्रीष्म
- चन्द्र राशि - कन्या
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
- सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 34 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 01 मिनट पर
- चन्द्रोदय - दोपहर 04 बजकर 13 मिनट पर
- चन्द्रास्त - रात 03 बजकर 57 मिनट पर
शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 10 मिनट से 04 बजकर 52 मिनट तक
- अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 11 बजकर 50 मिनट से 12 बजकर 44 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 32 मिनट से 03 बजकर 26 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजे से 07 बजकर 21 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 39 मिनट तक।
अशुभ समय
- राहु काल - सुबह 10 बजकर 36 मिनट से दोपहर 12 बजकर 17 मिनट तक
- गुलिक काल - सुबह 07 बजकर 15 मिनट से 08 बजकर 56 मिनट तक।
- दिशा शूल - पश्चिम
ताराबल
अश्विनी, कृत्तिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुष्य, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, मूल, उत्तराषाढ़ा, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, उत्तराभाद्रपद।
चन्द्रबल
मेष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, धनु, मीन।
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पूजा मंत्र (Pradosh Vrat 2025 Puja Mantra)
- ॐ पार्वतीपतये नमः॥
- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्:॥
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
- करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥
Note - यह दैनिक पंचांग astropatri.com के सौजन्य से प्रस्तुत है. सुझाव व प्रतिक्रियाओं के लिए hello@astropatri.com पर ईमेल करें।
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