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    Aaj ka Panchang 02 March 2025: फाल्गुन की तृतीया तिथि पर बन रहे हैं कई शुभ योग, पढ़िए पंचांग

    आज यानी 02 मार्च को कई शुभ और अशुभ बन रहे हैं। साथ ही आज रविवार का व्रत किया जा रहा है। धार्मिक मत है कि रविवार व्रत करने से साधक को सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है और कारोबार में सफलता मिलती है। ऐसे में चलिए पंडित हर्षित शर्मा जी से जानते हैं आज का पंचांग और शुभ मुहूर्त (Today Puja Time) के विषय में।

    By Jagran News Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 02 Mar 2025 09:27 AM (IST)
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    Aaj ka Panchang 02 March 2025 पंचांग से जानें शुभ मुहूर्त।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि आज यानी 02 मार्च को है। साथ ही रविवार भी है। हिंदू धर्म में रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा-अर्चना करना शुभ माना जाता है। साथ ही सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सूर्य देव की पूजा करने से रुके हुए काम जल्द पूरे होते हैं। फाल्गुन की द्वादशी तिथि पर कई शुभ और अशुभ योग का निर्माण हो रहा है। आइए पढ़ते हैं आज का पंचांग।

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    आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 02 March 2025)

    सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

    सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 45 मिनट पर

    सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 22 मिनट पर

    चन्द्रोदय- सुबह 08 बजकर 05 मिनट पर

    चंद्रास्त- रात 09 बजकर 03 मिनट पर

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    वार - रविवार

    ऋतु - वसंत

    शुभ समय (Today Shubh Muhurat)

    ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 06 मिनट से 05 बजकर 56 मिनट तक

    विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 29 मिनट से 03 बजकर 16 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 19 मिनट से 06 बजकर 44 मिनट तक

    निशिता मुहूर्त - रात 12 बजकर 08 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक

    अशुभ समय

    राहुकाल - दोपहर 04 बजकर 55 मिनट से 06 बजकर 22 मिनट तक

    गुलिक काल - दोपहर 03 बजकर 27 मिनट से 04 बजकर 55 मिनट तक

    दिशा शूल - पश्चिम

    नक्षत्र के लिए उत्तम ताराबल - अश्विनी, कृत्तिका, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, आश्लेषा, मघा, उत्तरा फाल्गुनी, चित्रा, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, उत्तराषाढ़ा, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद, रेवती

    राशि के लिए उत्तम चन्द्रबलम - वृषभ, मिथुन, कन्या, तुला, मकर, मीन

    सूर्य मंत्र

    1. जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम ।

    तमोsरिं सर्वपापघ्नं प्रणतोsस्मि दिवाकरम ।।

    2. ऊँ आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यण्च ।

    हिरण्य़येन सविता रथेन देवो याति भुवनानि पश्यन ।।

    3. ऊँ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्न: सूर्य: प्रचोदयात ।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।