Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    श्रीकृष्ण की 8 पत्नियां थीं

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Sat, 28 May 2016 02:47 PM (IST)

    प्राग्यज्योतिषपुर में कभी चीन पर्यटक 'हिउएनचां' राजा 'कुमार भास्करवर्मा' के राजत्व काल में आए थे।

    द्वापरयुग यानी भगवान श्रीकृष्ण के कालखंड में नरकासुर नाम का दैत्य भी रहता था। नरकासुर एक दैत्य शासक था जिसकी राजधानी प्राग्यज्योतिषपुर थी।

    नरकासुर सभी देवताओं और संतों को अपने अत्याचारों से परेशान कर रखा था। यहां तक कि उसने 16 हजार अविवाहित कन्याओं को बंदी बना रखा था। समय आने पर श्रीकृष्ण ने इसका वध किया और उन 16 हजार कन्याओं से विवाह किया।

    श्रीकृष्ण की 8 पत्नियां थीं। जिन्हें पुराणों में अष्टभार्या की संज्ञा दी गई है। भागवद्पुराण के अनुसार आठ पत्नियों के नाम क्रमशः रुक्मणी, सत्यभामा, जामवती, कालिंदी, मित्रविंदा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा थीं।

    पुराणों के अनुसार इसी नगर में ब्रह्मा ने प्राचीन काल में नक्षत्रों की सृष्टि की थी। इसलिए यह नगरी प्राक् (पूर्व या प्राचीन) + ज्योतिष (नक्षत्र) कहलाई। इस नगर के अवशेष आज भी मौजूद हैं, बल्कि अब भी यह एक तीर्थ है।

    वर्तमान में असम का गुवाहाटी शहर ही द्वापर युग में प्राग्यज्योतिषपुर के नाम से प्रसिद्ध है, जिसका अर्थ है पूर्व की ज्योति। पौराणिक युग से प्रागज्योतिषपुर का नाम कई कारणों से प्रसिद्ध रहा है। राजा भगदत्त कुरुक्षेत्र युद्ध में पाण्डवों के साथ गए थे।

    राजा नरकासुर एक रात में कामाख्या मंदिर निर्माण करने का दावा किया, लेकिन वो नहीं बना सका। भगवान श्रीकृष्ण की नाती अनिरुद्ध ने प्रागज्योतिषपुर की राजकन्या उषा से शादी की थी। महापुरुष शंकरदेव और उनके प्रिय शिष्य माधव देव का जन्म इसी प्रागज्योतिषपुर में हुआ था जिन्होंने 'एक देव एक सेव' यानी ईश्वर एक है वाणी का प्रचार किया था।

    प्राग्यज्योतिषपुर में कभी चीन पर्यटक 'हिउएनचां' राजा 'कुमार भास्करवर्मा' के राजत्व काल में आए थे। लाचित बरफुकन, वीर चिलाराई जैसे महान वीरों का और सती जयमती, मूलागाभरू जैसे वीरांगनाओं ने इसी प्रागज्योतिषपुर में जन्म लिया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें


    गुवाहाटी यानी प्राग्यज्योतिषपुर को मंदिरों का नगर भी कहा जाता हैं। यहां प्रसिद्ध पीठ कामाख्या मंदिर के अलावा दौल गोविंद मंदिर,मणिकर्णेश्वभर मंदिर,अश्विक्लांत मंदिर, वशिष्ठ मंदिर,नवग्रह मंदिर,शुक्रेश्वर मंदिर,उग्रतारा मंदिर,लंकेश्वेर मंदिर तथा दीर्घेश्वौरी मंदिर है जो सभी इतिहास प्रसिद्ध है ।

    पढ़ें अपना दैनिक, साप्ताहिक, मासिक और वार्षिक राशिफल Daily Horoscope & Panchang एप पर. डाउनलोड करें