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    Devshayani Ekadashi 2024: 16 या 17 जुलाई, कब है देवशयनी एकादशी? नोट करें पूजा और पारण का सही समय

    हर वर्ष आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi 2024) मनाई जाती है। इस दिन एकादशी व्रत रख लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जाती है। इस दिन से भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करने चले जाते हैं। वहीं कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु जागृत होते हैं।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Sun, 14 Jul 2024 05:19 PM (IST)
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    Devshayani Ekadashi 2024: कब से शुरू हो रहा है चातुर्मास?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Devshayani Ekadashi 2024: सनातन धर्म में देवशयनी एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन जगत के नाथ भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त एकादशी व्रत रखा जाता है। इस दिन से जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु क्षीर सागर में विश्राम करने चले जाते हैं। अतः इस दिन से चातुमार्स शुरू होता है। चातुर्मास के दौरान शुभ कार्य करने की मनाही है। इसके लिए देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तिथि तक कोई भी मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। हालांकि, देवशयनी एकादशी की तिथि को लेकर साधकों के मन में असमंसज है। आइए, देवशयनी एकादशी की सही तिथि एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-

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    शुभ मुहूर्त

    वैदिक पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 16 जुलाई को शुरू होगी। इस दिन एकादशी तिथि संध्याकाल 08 बजकर 33 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 17 जुलाई को शाम 09 बजकर 02 मिनट पर होगा।

    कब है देवशयनी एकादशी ?

    सनातन धर्म में निशा काल के दौरान होने वाली पूजा-अनुष्ठान को छोड़कर सभी व्रत-त्योहार के लिए उदया तिथि से गणना की जाती है। इसके लिए देवशयनी एकादशी 17 जुलाई को मनाई जाएगी। सनातन धर्म के जानकारों की मानें तो दूजी एकादशी तिथि वैष्णव समाज के अनुयायियों के लिए समर्पित होता है। आसान शब्दों में कहें तो दूजी तिथि पर वैषणव जन व्रत उवपस रखते हैं। हालांकि, यह तिथि गणना पर निर्धारित होता है। देवशयनी एकादशी पर दूजी तिथि का योग नहीं बन रहा है। इसके लिए सामान्य जन और वैष्णवजन एक साथ ही देवशयनी एकादशी मनाएंगे।

    पारण समय

    एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के पश्चात पारण किया जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो द्वादशी तिथि से पूर्व पारण कर लेना चाहिए। द्वादशी तिथि पर पारण नहीं किया जाता है। अतः 18 जुलाई यानी गुरु प्रदोष व्रत तिथि पर सूर्योदय होने के बाद सुबह 05 बजकर 35 मिनट से लेकर 08 बजकर 20 मिनट मध्य व्रत खोल सकते हैं। इस दौरान स्नान-ध्यान कर भगवान विष्णु की पूजा करें। इसके पश्चात ब्राह्मणों को अन्न और धन का दान देने के बाद व्रत खोलें।

    शुभ योग

    ज्योतिषियों की मानें तो देवशयनी एकादशी शुभ और शुक्ल योग का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का भी संयोग बन रहा है। इस दौरान जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना अवश्य ही पूरी होगी।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।