Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    Sankashti Chaturthi 2024: पितृ पक्ष में कब मनाई जाएगी विघ्नराज संकष्टी? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं सही डेट

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 17 Sep 2024 08:33 PM (IST)

    यह पर्व भगवान गणेश (Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2024) को समर्पित होता है। इस दिन भक्ति भाव से देवों के देव महादेव एवं मां पार्तवी के पुत्र भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान गणेश की पूजा करने से आर्थिक तंगी समेत सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। साधक मनचाहा वर पाने के लिए व्रत भी रखते हैं।

    Hero Image
    Sankashti Chaturthi 2024: भगवान गणेश को प्रसन्न करें ?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि का विशेष महत्व है। इस शुभ तिथि पर संकष्टी और विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि के अगले दिन विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2024) मनाई जाती है। इस दिन विघ्नहर्ता गणपति बप्पा की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर दूर हो जाते हैं। इस शुभ अवसर पर साधक श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा-सेवा करते हैं। आइए, विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी की सही डेट एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    शुभ मुहूर्त (Vighnaraja Sankashti Chaturthi Shubh Muhurat)

    आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि शुक्रवार 20 सितंबर को भारतीय समयानुसार रात 09 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगी और 21 सितंबर को संध्याकाल 06 बजकर 13 मिनट पर समाप्त होगी। वैदिक पंचांग गणना के अनुसार, 21 विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी है। इस शुभ तिथि पर चंद्र दर्शन का शुभ मुहूर्त शाम 08 बजकर 29 मिनट पर है।

    यह भी पढ़ें: कालाष्टमी की पूजा में जरूर करें इन मंत्रों का जप, सभी सुखों की होगी प्राप्ति

    शुभ योग (Vighnaraja Sankashti Chaturthi Shubh Yog)

    विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पर हर्षण योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 11 बजकर 36 मिनट से होगा। इस योग का समापन 22 सितंबर को सुबह 08 बजकर 22 मिनट पर होगा। इसके साथ ही आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर शिववास योग का भी संयोग बन रहा है। इस शुभ तिथि पर भगवान शिव संध्याकाल तक कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इसके बाद नंदी पर सवार होंगे। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।

    पंचांग 

    सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 09 मिनट पर

    सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 19 मिनट पर

    चन्द्रोदय- रात 08 बजकर 29 मिनट पर

    चंद्रास्त- सुबह 09 बजकर 34 मिनट पर

    ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 34 मिनट से 05 बजकर 22 मिनट तक

    विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 15 मिनट से 03 बजकर 04 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 19 मिनट से 07 बजकर 42 मिनट तक

    निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 50 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक

    यह भी पढ़ें: कब और किसने की रुद्राष्टकम स्तोत्र की रचना? जानें इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।