Sawan Masik Shivratri 2023: कब है सावन शिवरात्रि? जानें-शुभ मुहूर्त, व्रत विधि, महत्व एवं मंत्र
Sawan Masik Shivratri 2023 सनातन शास्त्रों में निहित है कि शिवरात्रि तिथि पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस व्रत को करने से विवाहित महिलाओं को सुख सौभाग्य और संतान की प्राप्ति होती है। अगर आप भी भगवान शिव का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो सावन माह की शिवरात्रि पर महादेव संग माता पार्वती की विधि विधान से पूजा करें।

नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Sawan Shivratri 2023: प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इस प्रकार, सावन महीने में मासिक शिवरात्रि 15 जुलाई को है। सावन का महीना देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। अतः सावन के महीने में शिवरात्रि का व्रत करने से व्रती को सभी प्रकार के सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि शिवरात्रि तिथि पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। आसान शब्दों में कहें तो शिवरात्रि पर महादेव और माता पार्वती परिणय सूत्र में बंधे थे। इस व्रत को करने से विवाहित महिलाओं को सुख, सौभाग्य और संतान की प्राप्ति होती है। वहीं, अविवाहित जातकों की शीघ्र शादी हो जाती है। अगर आप भी भगवान शिव का आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो सावन माह की शिवरात्रि पर महादेव संग माता पार्वती की विधि विधान से पूजा करें। आइए, पूजा का शुभ मुहूर्त और व्रत विधि जानते हैं-
शुभ मुहूर्त
सावन माह की चतुर्दशी 15 जुलाई को संध्याकाल 8 बजकर 32 मिनट से शुरू होगी और 16 जुलाई को रात 10 बजकर 08 मिनट पर समाप्त होगी। साधक 15 जुलाई को व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा आराधना कर सकते हैं। इस व्रत के पुण्य प्रताप से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
पूजा विधि
मासिक शिवरात्रि के दिन ब्रह्म बेला में उठें और भगवान शिव एवं माता पार्वती को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। इसके बाद सभी कामों से निवृत्त होकर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें और आचमन कर स्वयं को शुद्ध करें। अब नवीन वस्त्र धारण कर सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। तदोउपरांत, पूजा गृह में गंगाजल छिड़ककर निम्न मंत्र से शिव पार्वती का आह्वान करें-
ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
कर्पूरगौरं करुणावतारम् संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् |
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि ||
तदोउपरांत, एक चौकी पर वस्त्र बिछाकर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। अब पंचोपचार कर भगवान शिव एवं माता पार्वती की पूजा दूध, दही, फल, फूल, धूप, दीप, भांग, धतूरा और बेलपत्र से करें। इस समय शिव चालीसा, शिव तांडव, शिव स्त्रोत का पाठ करें। साथ ही महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। पूजा के अंत में आरती-अर्चना कर सुख, समृद्धि, सौभाग्य और आय में वृद्धि की कामना करें। दिनभर उपवास रखें। शाम में आरती-अर्चना कर फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न कर व्रत खोलें।
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