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Navgrah Kavach Mantra: नवग्रह कवच मंत्र के हो सकते हैं चामत्कारिक लाभ, प्रत्येक दिन करें जाप

Navgrah Kavach Mantra आज हम आपको नवग्रह कवच के बारे में बताने जा रहे हैं। यह आपके लिए बेहद ही चामत्कारिक लाभ वाला मंत्र हो सकता है। इसका पाठ प्रत्येक दिन श्रद्धापूर्वक करने से व्यक्ति को रोग कष्ट ग्रहों के दोष अशुभ प्रभाव शत्रु बाधा से मुक्ति मिल सकती है।

By Kartikey TiwariEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 03:00 PM (IST)Updated: Wed, 23 Sep 2020 08:54 AM (IST)
Navgrah Kavach Mantra: नवग्रह कवच मंत्र के हो सकते हैं चामत्कारिक लाभ, प्रत्येक दिन करें जाप
फाइल फोटो: नवग्रह कवच मंत्र के लाभ।

 Navgrah Kavach Mantra: ज्योतिष शास्त्र में नवग्रह का विशेष महत्व होता है। नवग्रहों के आधार पर व्यक्ति के जीवन में होने वाली घटनाओं के बारे में भविष्यवाणियां संभव हो पाती हैं। नवग्रहों की कुंडली में अच्छी और खराब स्थिति के कारण ही व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार के उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं। ग्रहों के दोषों को दूर करने के लिए उपाय बताए जाते हैं, जिसमें नवग्रहों के मंत्र भी होते हैं। आज हम आपको नवग्रह कवच के बारे में बताने जा रहे हैं। यह आपके लिए बेहद ही चामत्कारिक लाभ वाला मंत्र हो सकता है।

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नवग्रह कवच का वर्णन यामल तंत्र में किया गया है। इस नवग्रह कवच का पाठ प्रत्येक दिन श्रद्धापूर्वक करने से व्यक्ति को रोग, कष्ट, ग्रहों के दोष, अशुभ प्रभाव, शत्रु बाधा आदि से मुक्ति मिल सकती है। मंत्रों के जाप में सदैव उसके उच्चारण की शुद्धता का ध्यान रखा जाता है, अन्यथा आपको उस मंत्र का सही फल प्राप्त नहीं होगा।

नवग्रह कवच

ओम शिरो मे पातु मार्तण्ड: कपालं रोहिणीपति:।

मुखमङ्गारक: पातु कण्ठं च शशिनन्दन:।।

बुद्धिं जीव: सदा पातु हृदयं भृगुनंदन:।

जठरं च शनि: पातु जिह्वां मे दितिनंदन:।।

पादौ केतु: सदा पातु वारा: सर्वाङ्गमेव च।

तिथयोऽष्टौ दिश: पान्तु नक्षत्राणि वपु: सदा।।

अंसौ राशि: सदा पातु योगश्च स्थैर्यमेव च।

सुचिरायु: सुखी पुत्री युद्धे च विजयी भवेत्।।

रोगात्प्रमुच्यते रोगी बन्धो मुच्येत बन्धनात्।

श्रियं च लभते नित्यं रिष्टिस्तस्य न जायते।।

य: करे धारयेन्नित्यं तस्य रिष्टिर्न जायते।।

पठनात् कवचस्यास्य सर्वपापात् प्रमुच्यते।

मृतवत्सा च या नारी काकवन्ध्या च या भवेत्।

जीववत्सा पुत्रवती भवत्येव न संशय:।।

एतां रक्षां पठेद् यस्तु अङ्गं स्पृष्ट्वापि वा पठेत्।।

डिस्क्लेमर-

''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. विभिन्स माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी. ''


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