Vishwakarma Puja 2023: पूजा करते समय जरूर करें इस स्तोत्र का पाठ, आर्थिक तंगी से मिलेगी निजात
Vishwakarma Puja 2023 धार्मिक मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। उनकी कृपा से करियर और कारोबार में वृद्धि होती है। धर्म शास्त्रों में निहित है कि भगवान विश्वकर्मा की स्तुति करने से आर्थिक तंगी भी दूर होती है। अगर आप भी धन संबंधी परेशानी से निजात पाना चाहते हैं तो आज पूजा के समय विश्वकर्मा जी की स्तुति अवश्य करें।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Vishwakarma Puja 2023: सनातन पंचांग के अनुसार, हर वर्ष कन्या संक्रांति तिथि पर विश्वकर्मा जयंती मनाई जाती है। इस प्रकार आज विश्वकर्मा जयंती है। इस दिन शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा की विधि-विधान पूर्वक पूजा-उपासना की जाती है। भगवान विश्वकर्मा को जगतकर्ता और शिल्पेश्वर भी कहा जाता है। साथ ही सृष्टि के सृजनकर्ता भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। उनकी कृपा से करियर और कारोबार में वृद्धि होती है। धर्म शास्त्रों में निहित है कि भगवान विश्वकर्मा की स्तुति करने से आर्थिक तंगी भी दूर होती है। अगर आप भी धन संबंधी परेशानी से निजात पाना चाहते हैं, तो आज पूजा के समय विश्वकर्मा जी की स्तुति अवश्य करें। इस स्तुति के पाठ से साधक के आय, आयु और भाग्य में वृद्धि होती है। आइए, भगवान विश्वकर्मा जी की स्तुति करें-
श्री विश्वकर्मा अष्टकम
निरञ्जनो निराकारः निर्विकल्पो मनोहरः ।
निरामयो निजानन्दः निर्विघ्नाय नमो नमः ॥
अनादिरप्रमेयश्च अरूपश्च जयाजयः ।
लोकरूपो जगन्नाथः विश्वकर्मन्नमो नमः ॥
नमो विश्वविहाराय नमो विश्वविहारिणे ।
नमो विश्वविधाताय नमस्ते विश्वकर्मणे ॥
नमस्ते विश्वरूपाय विश्वभूताय ते नमः ।
नमो विश्वात्मभूथात्मन् विश्वकर्मन्नमोऽस्तु ते ॥
विश्वायुर्विश्वकर्मा च विश्वमूर्तिः परात्परः ।
विश्वनाथः पिता चैव विश्वकर्मन्नमोऽस्तु ते ॥
विश्वमङ्गलमाङ्गल्यः विश्वविद्याविनोदितः ।
विश्वसञ्चारशाली च विश्वकर्मन्नमोऽस्तु ते ॥
विश्वैकविधवृक्षश्च विश्वशाखा महाविधः ।
शाखोपशाखाश्च तथा तद्वृक्षो विश्वकर्मणः ॥
तद्वृक्षः फलसम्पूर्णः अक्षोभ्यश्च परात्परः ।
अनुपमानो ब्रह्माण्डः बीजमोङ्कारमेव च ॥
विश्वकर्मा स्तोत्र
आदिरूप नमस्तुभ्यं नमस्तुभ्यं पितामह ।
विराटाख्य नमस्तुभ्यं विश्वकर्मन्नमोनमः ॥
आकृतिकल्पनानाथस्त्रिनेत्री ज्ञाननायकः ।
सर्वसिद्धिप्रदाता त्वं विश्वकर्मन्नमोनमः ॥
पुस्तकं ज्ञानसूत्रं च कम्बी सूत्रं कमण्डलुम् ।
धृत्वा संमोहनं देव विश्वकर्मन्नमोनमः ॥
विश्वात्मा भूतरूपेण नानाकष्टसंहारक ।
तारकानादिसंहाराद्विश्वकर्मन्नमोनमः ॥
ब्रह्माण्डाखिलदेवानां स्थानं स्वर्भूतलं तलम् ।
लीलया रचितं येन विश्वरूपाय ते नमः ॥
विश्वव्यापिन्नमस्तुभ्यं त्र्यम्बकं हंसवाहनम् ।
सर्वक्षेत्रनिवासाख्यं विश्वकर्मन्नमोनमः ॥
निराभासाय नित्याय सत्यज्ञानान्तरात्मने ।
विशुद्धाय विदूराय विश्वकर्मन्नमोनमः ॥
नमो वेदान्तवेद्याय वेदमूलनिवासिने ।
नमो विविक्तचेष्टाय विश्वकर्मन्नमोनमः ॥
यो नरः पठते नित्यं विश्वकर्माष्टकमिदम् ।
धनं धर्मं च पुत्रश्च लभेदान्ते परां गतिम् ॥
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