विनायकी श्री गणेश चतुर्थी: इस मंत्र के जाप से पूर्ण करें अपना व्रत, जानें पूजा विधि
भगवान विघ्नहर्ता गणेश भक्तों के कष्टों को दूर करते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इस सप्ताह विनायकी गणेश चतुर्थी 07 जून दिन शुक्रवार को है।
पुराणों के अनुसार शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायकी श्री गणेश चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन को वरद विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन श्रीगणेश की पूजा दोपहर या मध्याह्न में करनी चाहिए। अमावस्या के बाद पड़ने वाली गणेश चतुर्थी के व्रत और पूजा का बड़ा ही महत्व है। इस दिन गणपति की पूजा करने से सुख-समृद्धि, धन-दौलत के साथ ही ज्ञान और बुद्धि की भी प्राप्ति होती है। भगवान विघ्नहर्ता गणेश भक्तों के कष्टों को दूर करते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इस सप्ताह विनायकी गणेश चतुर्थी 07 जून दिन शुक्रवार को है।
शुक्रवार की महत्वपूर्ण घड़ियां
दिशाशूल: पश्चिम।
राहुकाल: पूर्वाह्न 10:30 बजे से मध्याह्न 12:00 बजे तक।
भद्रा: प्रात: 07:38 बजे तक।
विनायकी श्री गणेश चतुर्थी पूजा विधि
चतुर्थी के दिन सुबह उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर पवित्र जल से स्नान करें और लाल रंग के साफ कपड़े पहनें। पूजा घर में श्रीगणेश जी का मन ही मन ध्यान कर चतुर्थी व्रत का संकल्प करें। दोपहर में गणेश जी का विधि विधान से पूजा करनी चाहिए। पूरब या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पूजा आसन पर बैठें और गणेश जी प्रतिमा स्थापित करें। गणपति को जल, अक्षत, पुष्प, रोली, फल, मोदक, दुर्वा और पंचामृत अर्पित करें।
षोडशोपचार पूजन के बाद श्री गणेश की आरती करें और उनको सिन्दूर चढ़ाएं। इसके उपरान्त ॐ गं गणपतयै नम: मंत्र का जाप करें और 21 दूर्वा दल अर्पित करें। दूर्वा दल अर्पित करने से भगवान गणेश बहुत प्रसन्न होते हैं। दूर्वा के पश्चात बूंदी के 21 लड्डुओं का भोग लगाएं।
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ध्यान रखने वाली बातें
1. गणेश पूजन के बाद भोग लगाए प्रसाद में से कुछ गरीबों या ब्राह्मणों में बांट दें। यदि आप इस दिन ब्राह्मणों और जरूरतमंद लोगों को भोजन कराते हैं और कुछ दान करते हैं तो भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं।
2. चतुर्थी व्रत में दिन भर उपवास रखें और शाम को भोजन ग्रहण करने से पूर्व गणेश चतुर्थी व्रत कथा, गणेश चालीसा आदि का पाठ जरूर करें।
3. शाम को संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ और श्री गणेश की आरती करें। ॐ गणेशाय नम: मंत्र के जाप से अपने व्रत को पूर्ण करें।
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