Vinayak Chaturthi 2024: जीवन के संकटों से न हो परेशान, गणेश जी की पूजा से समस्याएं होंगी दूर
हिंदू पंचांग के अनुसार चतुर्थी तिथि भगवान शिव के पुत्र गणपति बप्पा को समर्पित है। हर साल मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष में चतुर्थी तिथि पर विनायक चतुर्थी (Vinayak Chaturthi 2024) का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही जीवन के संकटों को दूर करने के लिए व्रत भी किया जाता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान गणेश को बुद्धि और समृद्धि का देवता माना जाता है। सनातन धर्म में शुभ और मांगलिक की शुरुआत में गणपति बप्पा की पूजा का विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने से कार्य में कोई बाधा नहीं आती है। चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित है। पंचांग के अनुसार, इस बार 05 दिसंबर (Vinayak Chaturthi 2024) को विनायक चतुर्थी मनाई जाएगी। अगर आप जीवन में दुख और संकट का सामना कर रहे हैं, तो विनायक चतुर्थी के दिन पूजा के दौरान श्री सङ्कटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें। इसका पाठ करने से सभी समस्या दूर होती है। साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
विनायक चतुर्थी 2024 शुभ मुहूर्त (Vinayak Chaturthi Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 04 दिसंबर को दोपहर 01 बजकर 10 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 05 दिसंबर को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर होगा। इस दिन चन्द्रास्त का समय रात 09 बजकर 07 मिनट है। साधक 05 दिसंबर को विनायक चतुर्थी का व्रत किया जाएगा।
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 11 मिनट से 06 बजकर 05 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 56 मिनट से 02 बजकर 37 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 21 मिनट से 05 बजकर 49 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 45 मिनट से 12 बजकर 39 मिनट तक
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॥ श्री सङ्कटनाशन गणेश स्तोत्र ॥
नारद उवाच
प्रणम्य शिरसा देवंगौरीपुत्रं विनायकम्।
भक्तावासं स्मेरनित्यमाय्ःकामार्थसिद्धये॥1॥
प्रथमं वक्रतुण्डं चएकदन्तं द्वितीयकम्।
तृतीयं कृष्णपिङ्गाक्षंगजवक्त्रं चतुर्थकम्॥2॥
लम्बोदरं पञ्चमं चषष्ठं विकटमेव च।
सप्तमं विघ्नराजं चधूम्रवर्णं तथाष्टकम्॥3॥
नवमं भालचन्द्रं चदशमं तु विनायकम।
एकादशं गणपतिंद्वादशं तु गजाननम॥4॥
द्वादशैतानि नामानित्रिसन्ध्यं य: पठेन्नर:।
न च विघ्नभयं तस्यसर्वासिद्धिकरं प्रभो॥5॥
विद्यार्थी लभते विद्यांधनार्थी लभते धनम्।
पुत्रार्थी लभतेपुत्रान्मोक्षार्थी लभते गतिम्॥6॥
जपेद्गणपतिस्तोत्रंषड्भिर्मासै: फलं लभेत्।
संवत्सरेण सिद्धिं चलभते नात्र संशय:॥7॥
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्चलिखित्वां य: समर्पयेत्।
तस्य विद्या भवेत्सर्वागणेशस्य प्रसादत:॥8॥
॥ इति श्रीनारदपुराणे सङ्कटनाशनगणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
अगर आप गणपति बप्पा की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो पूजा के दौरान नीचे दिए मंत्रों का जप करें। इससे गणेश जी प्रसन्न होते हैं।
1. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥
2. ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥
3. ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥
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