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    Vikata Sankashti Chaturthi 2024: संकष्टी चतुर्थी पर ऐसे करें गणेश जी की पूजा, सभी बाधाएं होंगी दूर

    वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान शिव के पुत्र गणपति बप्पा की पूजा और व्रत किया जाता है। इस बार विकट संकष्टी चतुर्थी 27 अप्रैल को है। धार्मिक मान्यता के अनुसार चतुर्थी तिथि पर गणपति बप्पा की पूजा करने से साधक को सभी तरह के दुखों से छुटकारा मिलता है।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Wed, 17 Apr 2024 05:36 PM (IST)
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    Vikata Sankashti Chaturthi 2024: संकष्टी चतुर्थी पर ऐसे करें गणेश जी की पूजा, सभी बाधाएं होंगी दूर

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vikata Sankashti Chaturthi 2024: हर महीने में 2 बार चतुर्थी का व्रत किया जाता है। एक कृष्ण पक्ष में और दूसरा शुक्ल पक्ष में। वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस बार यह व्रत 27 अप्रैल को है। इस खास अवसर पर भगवान गणेश जी की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, चतुर्थी तिथि पर गणपति बप्पा की पूजा करने से साधक को सभी तरह के दुखों से छुटकारा मिलता है। साथ ही आय और सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। अगर आप भी प्रभु को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा करें। चलिए जानते हैं विकट संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि के बारे में।

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    विकट संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Vikata Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)

    विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और दिन की शुरुआत देवी-देवता के ध्यान से करें। इसके बाद स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। अब भगवान सूर्य देव को जल अर्पित करें। मंदिर की साफ-सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें। चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की मूर्ति विराजमान करें। अब गणपति बप्पा को दूर्वा और मोदक अर्पित करें। देशी घी का दीपक जलाकर आरती करें और गणेश चालीसा का पाठ करें। पूजा के दौरान मंत्रों का जाप करना फलदायी होता है। इसके पश्चात गणेश जी मोदक, फल और मिठाई का भोग लगाएं। अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें और खुद भी ग्रहण करें।

    गणेश गायत्री मंत्र

    ॐ एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    ॐ महाकर्णाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    ॐ गजाननाय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दंती प्रचोदयात् ॥

    शुभ लाभ गणेश मंत्र

    ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नम:।।

    सिद्धि प्राप्ति हेतु मंत्र

    श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा ॥

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'