Vat Savitri Vrat Paran: कैसे करें वट सावित्री व्रत का पारण, ठीक रीति से करना जरूरी, वरना नहीं मिलता फल
सनातन धर्म में मन की शुद्धि और भगवान की कृपा पाने के लिए व्रत का विधान किया गया है। व्रत रखने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसी प्रकार कृष्ण पक्ष की अमावस्या को रखा जाने वाला वट सावित्री व्रत भी विशेष महत्व रखता है।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Vat Savitri Vrat Paran: वट सावित्री व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र, जीवन रक्षा और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना करते हुए यह व्रत रखती हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन वट सावित्री व्रत रखा जाता है। इस साल यह व्रत 19 मई शुक्रवार के दिन किया जा रहा है। इसी दिन शनि जयंती भी मनाई जा रही है।
यह है पौराणिक कथा
इस व्रत को करने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है। जिसके अनुसार, सावित्री ने अपनी सूझ-बूझ से यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी। तभी से महिलाएं इस व्रत को करती आ रही हैं।
वट वृक्ष की ही पूजा क्यों
इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। साथ ही उसकी परिक्रमा करते हुए वृक्ष के चारों ओर मंगल धागा यानी कलावा बांधती हैं। हिंदू धर्म में वट के वृक्ष को पूजनीय माना गया है। इसमें त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु, महेश का वास है। वट वृक्ष लंबे समय तक अक्षय रहता है, इसलिए इसे 'अक्षयवट' भी कहते हैं।
इस तरह करें पारण
किसी भी व्रत या उपवास के दूसरे दिन किया जाने वाला पहला भोजन पारण कहलाता है। यदि ठीक तरह से व्रत का पारण न किया जाए तो व्रत का पूरा फल प्राप्त नहीं होता। वट सावित्री व्रत का पारण दिन के समय करें। भगवान की पूजा करने और ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद ही पारण करना चाहिए। पारण के दिन कांसे के बर्तन में खाना न खाएं। इस दिन मांस, शराब आदि का सेवन करने से बचें। ये सभी बातें वैष्णवों के लिए विशेष रूप से निषिद्ध मानी गई हैं।
By- Suman Saini
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