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    Vat Savitri Vrat 2019: पतिव्रता सावित्री, जो यमराज से वापस लायी पति सत्यवान के प्राण

    By kartikey.tiwariEdited By:
    Updated: Mon, 03 Jun 2019 09:10 AM (IST)

    Vat Savitri Vrat 2019 पति के सौभाग्य की कामना वाला वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाया जाता है। यह व्रत इस बार 3 जून को है।

    Vat Savitri Vrat 2019: पतिव्रता सावित्री, जो यमराज से वापस लायी पति सत्यवान के प्राण

    Vat Savitri Vrat 2019: पति के सौभाग्य की कामना वाला वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या को मनाया जाता है। यह व्रत इस बार 3 जून को है। सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी, जिसके बाद से महिलाएं अपने पति के दीर्घ आयु के लिए यह व्रत रखने लगीं। इस दिन वट सावित्री व्रत कथा सुनना अनिवार्य माना जाता है।

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    सावित्री सत्यवान की संक्षिप्त कथा

    सावित्री मद्र देश के राजा अश्वपति की पुत्री थीं। बड़ी होने पर सावित्री ने अपने पिता की इच्छानुसार द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान से विवाह कर लिया। विवाह से पूर्व देवर्षि नारद जी ने सावित्री से कहा था कि उसका पति सत्यवान सिर्फ एक साल तक ही जीवित रहेगा। किन्तु दृढव्रता सावित्री ने अपने मन से अंगीकार किए हुए पति का त्याग नहीं किया। सावित्री ने एक वर्ष तक पतिव्रत धर्म का पालन किया। उसने नेत्रहीन सास-ससुर और अल्पायु पति की प्रेम के साथ सेवा की।

    अन्त में वर्ष समाप्ति के दिन (ज्येष्ठ शुक्ल 15 को) सत्यवान जब रोज की तरह जंगल में लकड़ी लेने गया तो साथ में उस दिन सावित्री भी गई। वहाँ एक सर्प नें सत्यवान को डस लिया। वह बेहोश होकर गिर पड़ा। तभी यमराज वहां प्रकट हुए और सत्यवान् के प्राण हर कर वहां से जाने लगे। सावित्री भी उनके साथ साथ चल दी।

    यमराज ने सावित्री के पतिव्रता धर्म से प्रसन्न होकर वरदान मांगने को कहा। सावित्री ने नेत्रहीन सास ससुर के आंखों की रोशनी, उनका खोया हुआ राज्य और सत्यवान के 100 पुत्रों की माता बनने का वरदान मांग लिया। अपने वचन में बंधे यमराज ने उसे वरदान दिया। जिसके परिणाम स्वरूप यमराज ने सत्यवान के प्राण लौटा दिए, जिससे सत्यवान फिर से जीवित हो उठे।

    इस घटना के बाद यह मान्यता स्थापित हुई कि सावित्री की इस पुण्य कथा को सुनने पर तथा पतिव्रता रहने पर महिलाओं के सम्पूर्ण मनोरथ पूर्ण होंगे और सारी विपत्तियाँ दूर होंगी। इसलिए हर वर्ष वट सावित्री व्रत के दिन सौभाग्यवती महिलाएं यह कथा सुनती हैं।

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