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    Vaman Dwadashi 2023: अनंत फलदायी है वामन द्वादशी, जानिए इसकी तिथि और पूजा विधि

    By Suman SainiEdited By: Suman Saini
    Updated: Sat, 09 Sep 2023 02:07 PM (IST)

    Vaman Jayanti 2023 भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की बारहवीं तिथि को वामन द्वादशी मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने इसी दिन वामन अवतार लिया था। भागवत पुराण के अनुसार वामन भगवान विष्णु के दशावतार में से पांचवें अवतार थे जिन्होंने त्रेता युग में जन्म लिया था। यह अवतार उन्होंने राजा बाली से तीन लोकों का अधिकार पुनः प्राप्त करने के लिए लिया था।

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    Vaman Dwadashi 2023 कब है वामन द्वादशी।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Vaman Dwadashi 2023 Date: वामन द्वादशी को भगवान विष्णु के वामन अवतार की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान विष्णु के अवतार वामन भगवान की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं वामन द्वादशी की तिथि और पूजा विधि।

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    वामन द्वादशी की तिथि (Vaman Jayanti 2023 Tithi)

    द्वादशी तिथि का प्रारम्भ 26 सितम्बर 2023, मंगलवार के दिन सुबह 05 बजे से हो रहा है जिसका समापन 27 सितंबर, बुधवार के दिन सुबह 01 बजकर 45 मिनट पर हो रहा है। ऐसे में वामन द्वादशी 26 सितंबर को मनाई जाएगी।

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    वामन द्वादशी का महत्व (Vaman Dwadashi Importance)

    वामन द्वादशी के दिन भगवान श्री हरि का पूजन करने से मनुष्य के अंदर से अहंकार की भावना समाप्त हो जाती है। साथ ही लोगों के आत्मबल में वृद्धि होती है। साथ ही यह भी मान्यता है कि वामन द्वादशी के दिन भगवान के वामन रूप की पूजा करने से बुरे कर्मों से छुटकारा मिल सकता है।

    वामन जयंती की पूजा विधि (Vaman Jayanti Puja vidhi)

    वामन जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत होने के बाद पूजा की तैयारी करें। इसके बाद चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु के वामन अवतार की तस्वीर स्थापित करें। यदि वामन अवतार की तस्वीर न हो तो आप भगवान विष्णु के तस्वीर को भी स्थापित कर सकते हैं। इस दिन श्रवण नक्षत्र में पूजा करना सबसे उत्तम माना जाता है।

    ऐसे में आप श्रवण नक्षत्र में वामन भगवान की पूजा करें, उन्हें रोली, पीले फूल, नैवेद्य आदि अर्पित करें। साथ ही भगवान को दही और मिश्री का भोग लगाएं। पूजा के बाद वामन अवतार की कथा का पाठ अवश्य करें। आरती करने के बाद आसपास के लोगों में प्रसाद बांटे। इस दिन किसी जरूरतमंद को भोजन करवाने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'