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    Vakratunda Sankashti Chaturthi 2023: कब है वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी? जानें-शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Thu, 26 Oct 2023 11:25 PM (IST)

    धार्मिक मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी दुख और संताप दूर हो जाते हैं। साथ ही आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। अगर आप भी भगवान गणेश की कृपा के भागी बनना चाहते हैं तो चतुर्थी तिथि पर विधिवत भगवान गणेश की पूजा करें। आइए शुभ मुहूर्त पूजा विधि एवं महत्व जानते हैं।

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    Vakratunda Sankashti Chaturthi 2023: कब है वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी? जानें-शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Vakratund Sankashti Chaturthi 2023: हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। तदनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी 1 नवंबर को है। इसे वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। भगवान गणेश को वक्रतुंड, लंबोदर, सिद्धिविनायक, गजानन, विनायक, विघ्नहर्ता आदि नामों से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी दुख और संताप दूर हो जाते हैं। साथ ही आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। अगर आप भी भगवान गणेश की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो चतुर्थी तिथि पर विधिवत भगवान गणेश की पूजा करें। आइए, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं महत्व जानते हैं-

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    शुभ मुहूर्त

    वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर को रात 09 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी और 1 नवंबर को 09 बजकर 19 मिनट पर समाप्त होगी। सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। अत: 1 नवंबर को वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी।

    यह भी पढ़ें- करवा चौथ से लेकर दिवाली और छठ पूजा तक, जानें- नवंबर महीने के सभी प्रमुख व्रत-त्योहार की तिथि

    पूजा विधि

    संकष्टी चतुर्थी के दिन ब्रह्म बेला में उठें। भगवान गणेश का ध्यान कर दिन की शुरुआत करें। इसके बाद घर की साफ-सफाई करें। गंगाजल छिड़ककर घर को शुद्ध करें। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसके पश्चात, गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करें। इस समय आचमन कर व्रत संकल्प लें। अब पीले रंग का वस्त्र धारण कर भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य दें। तत्पश्चात, पूजा गृह में चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर भगवान गणेश को विराजमान करें। साथ ही कलश स्थापित करें। अब पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करें। भगवान गणेश को दूर्वा, कुमकुम, अक्षत, मोदक, चंदन, हल्दी आदि चीजें अर्पित करें। पूजा के समय गणेश चालीसा का पाठ और गणेश मंत्र का जाप करें। अंत में आरती कर पूजा संपन्न करें। इस समय भगवान गणेश से सुख, समृद्धि और आय में वृद्धि की कामना करें। दिनभर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें। अगले दिन पूजा-पाठ कर व्रत खोलें।

    डिस्क्लेमर- ''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।