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    Vaishakh Purnima 2025: पूर्णिमा पर जरूर करें इस चालीसा का पाठ, दूर होंगे दुख और दरिद्रता

    Updated: Mon, 05 May 2025 10:30 PM (IST)

    हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि सबसे महत्वपूर्ण तिथियों में से एक मानी जाती है। इस दिन पर सुख-सौभाग्य की प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसे में आप इस दिन पर पूजा के दौरान विष्णु चालीसा का पाठ कर सकते हैं जिससे आपको शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है।

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    Vaishakh Purnima 2025 (background Picture Credit: Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, पूर्णिमा तिथि पर स्नान-दान करना काफी शुभ माना गया है। इस बार वैशाख पूर्णिमा 12 मई को मनाई जा रही है। यह दिन इसलिए भी खास है, क्योंकि इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। 

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    ।।विष्णु चालीसा का पाठ।।

    ''दोहा''

    विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।

    कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥

    नमो विष्णु भगवान खरारी, कष्ट नशावन अखिल बिहारी ।

    प्रबल जगत में शक्ति तुम्हारी, त्रिभुवन फैल रही उजियारी ॥

    सुन्दर रूप मनोहर सूरत, सरल स्वभाव मोहनी मूरत ।

    तन पर पीताम्बर अति सोहत, बैजन्ती माला मन मोहत ॥

    शंख चक्र कर गदा विराजे, देखत दैत्य असुर दल भाजे ।

    सत्य धर्म मद लोभ न गाजे, काम क्रोध मद लोभ न छाजे ॥

    सन्तभक्त सज्जन मनरंजन, दनुज असुर दुष्टन दल गंजन ।

    सुख उपजाय कष्ट सब भंजन, दोष मिटाय करत जन सज्जन ॥

    पाप काट भव सिन्धु उतारण, कष्ट नाशकर भक्त उबारण ।

    करत अनेक रूप प्रभु धारण, केवल आप भक्ति के कारण ॥

    धरणि धेनु बन तुमहिं पुकारा, तब तुम रूप राम का धारा ।

    भार उतार असुर दल मारा, रावण आदिक को संहारा ॥

    आप वाराह रूप बनाया, हिरण्याक्ष को मार गिराया ।

    धर मत्स्य तन सिन्धु बनाया, चौदह रतनन को निकलाया ॥

    अमिलख असुरन द्वन्द मचाया, रूप मोहनी आप दिखाया ।

    देवन को अमृत पान कराया, असुरन को छवि से बहलाया ॥

    कूर्म रूप धर सिन्धु मझाया, मन्द्राचल गिरि तुरत उठाया ।

    शंकर का तुम फन्द छुड़ाया, भस्मासुर को रूप दिखाया ॥

    वेदन को जब असुर डुबाया, कर प्रबन्ध उन्हें ढुढवाया ।

    पूर्णिमा का दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए भी खास माना जाता है। इस दिन पर विष्णु जी की पूजा-अर्चना से साधक को अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।

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    मोहित बनकर खलहि नचाया, उसही कर से भस्म कराया ॥

    असुर जलन्धर अति बलदाई, शंकर से उन कीन्ह लड़ाई ।

    हार पार शिव सकल बनाई, कीन सती से छल खल जाई ॥

    सुमिरन कीन तुम्हें शिवरानी, बतलाई सब विपत कहानी ।

    तब तुम बने मुनीश्वर ज्ञानी, वृन्दा की सब सुरति भुलानी ॥

    देखत तीन दनुज शैतानी, वृन्दा आय तुम्हें लपटानी ।

    हो स्पर्श धर्म क्षति मानी, हना असुर उर शिव शैतानी ॥

    तुमने ध्रुव प्रहलाद उबारे, हिरणाकुश आदिक खल मारे ।

    गणिका और अजामिल तारे, बहुत भक्त भव सिन्धु उतारे ॥

    हरहु सकल संताप हमारे, कृपा करहु हरि सिरजन हारे ।

    देखहुं मैं निज दरश तुम्हारे, दीन बन्धु भक्तन हितकारे ॥

    चाहता आपका सेवक दर्शन, करहु दया अपनी मधुसूदन ।

    जानूं नहीं योग्य जब पूजन, होय यज्ञ स्तुति अनुमोदन ॥

    शीलदया सन्तोष सुलक्षण, विदित नहीं व्रतबोध विलक्षण ।

    करहुं आपका किस विधि पूजन, कुमति विलोक होत दुख भीषण ॥

    करहुं प्रणाम कौन विधिसुमिरण, कौन भांति मैं करहु समर्पण ।

    सुर मुनि करत सदा सेवकाई, हर्षित रहत परम गति पाई ॥

    दीन दुखिन पर सदा सहाई, निज जन जान लेव अपनाई ।

    पाप दोष संताप नशाओ, भव बन्धन से मुक्त कराओ ॥

    सुत सम्पति दे सुख उपजाओ, निज चरनन का दास बनाओ ।

    निगम सदा ये विनय सुनावै, पढ़ै सुनै सो जन सुख पावै ॥

    इति श्री विष्णु चालीसा

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।