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    Vaishakh Amavasya 2024: वैशाख अमावस्या पर पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, दूर हो जाएंगे सभी दुख और कष्ट

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 07 May 2024 01:46 PM (IST)

    धार्मिक मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर पूजा जप-तप और दान-पुण्य करने से साधक को सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही साधक को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। उनकी कृपा से साधक के सभी बिगड़े काम बनने लगते हैं। अगर आप भी भगवान विष्णु को प्रसन्न करना चाहते हैं तो वैशाख अमावस्या पर विधिपूर्वक जगत के पालनहार की पूजा करें।

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    Vaishakh Amavasya 2024: वैशाख अमावस्या पर पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vaishakh Amavasya 2024: सनातन पंचांग के अनुसार, 08 मई को वैशाख अमावस्या है। इस दिन शनि जयंती भी मनाई जाती है। इस अवसर पर साधक गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान कर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। इसके बाद अपनी आर्थिक स्थिति के अनुरूप दान-पुण्य करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर पूजा, जप-तप और दान-पुण्य करने से साधक को सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही साधक को भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। उनकी कृपा से साधक के सभी बिगड़े काम बनने लगते हैं। अगर आप भी भगवान विष्णु को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो वैशाख अमावस्या पर विधिपूर्वक जगत के पालनहार की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।

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    मंत्र

    1. ॐ नमोः नारायणाय॥

    2. विष्णु भगवते वासुदेवाये मंत्र

    ॐ नमोः भगवते वासुदेवाय॥

    3. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

    4. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्

    विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।

    लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्

    वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥

    5. ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय वासुदेवाय धन्वंतराये:

    अमृतकलश हस्ताय सर्व भयविनाशाय सर्व रोगनिवारणाय

    त्रिलोकपथाय त्रिलोकनाथाय श्री महाविष्णुस्वरूप

    श्री धनवंतरी स्वरूप श्री श्री श्री औषधचक्र नारायणाय नमः॥

    6. ॐ नमो भगवते धनवंतराय

    अमृताकर्षणाय धन्वन्तराय

    वेधासे सुराराधिताय धन्वंतराय

    सर्व सिद्धि प्रदेय धन्वंतराय

    सर्व रक्षा कारिणेय धन्वंतराय

    सर्व रोग निवारिणी धन्वंतराय

    सर्व देवानां हिताय धन्वंतराय

    सर्व मनुष्यानाम हिताय धन्वन्तराय

    सर्व भूतानाम हिताय धन्वन्तराय

    सर्व लोकानाम हिताय धन्वन्तराय

    सर्व सिद्धि मंत्र स्वरूपिणी धन्वन्तराय नमः।।

    7. कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा ।

    बुद्ध्यात्मना वा प्रकृतिस्वभावात् ।

    करोमि यद्यत्सकलं परस्मै ।

    नारायणयेति समर्पयामि ॥

    कायेन वाचा मनसेन्द्रियैर्वा

    बुद्ध्यात्मना वानुसृतस्वभावात् ।

    करोति यद्यत्सकलं परस्मै

    नारायणयेति समर्पयेत्तत् ॥

    8. शुक्लाम्बरधरं विष्णुं शशिवर्णं चतुर्भुजम् ।

    प्रसन्नवदनं ध्यायेत् सर्वविघ्नोपशान्तये ॥

    9. ॐ ऐं श्रीं महालक्ष्म्यै कमल धारिण्यै गरूड़ वाहिन्यै श्रीं ऐं नमः

    10. ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो, धन धान्यः सुतान्वितः।

    मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॐ ।।

    ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥

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    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।