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    Utpanna Ekadashi 2023: कब है उत्पन्ना एकादशी? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं पूजा मंत्र

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 27 Nov 2023 12:38 PM (IST)

    यह दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत उपवास रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि एकादशी व्रत करने से अनजाने में किए हुए सारे पाप कट जाते हैं। साथ ही जीवन में सुख समृद्धि और मंगल का आगमन होता है।

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    Utpanna Ekadashi 2023: कब है उत्पन्ना एकादशी? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि एवं पूजा मंत्र

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Utpanna Ekadashi 2023: हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है। तदनुसार, इस वर्ष 8 दिसंबर को उत्पन्ना एकादशी है। यह दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस दिन विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत उपवास रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि एकादशी व्रत करने से अनजाने में किए हुए सारे पाप कट जाते हैं। साथ ही जीवन में सुख, समृद्धि और मंगल का आगमन होता है। आइए, उत्पन्ना एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त एवं पूजा विधि जानते हैं-

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    शुभ मुहूर्त

    पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 8 दिसंबर को प्रातः काल 05 बजकर 06 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 9 दिसंबर को सुबह 06 बजकर 31 मिनट पर समाप्त होगी।

    पारण का समय

    साधक 9 दिसंबर को दोपहर 01 बजकर 15 मिनट से लेकर 03 बजकर 20 मिनट के मध्य व्रत खोल सकते हैं। इस समय से पूर्व पूजा कर जल और फल ग्रहण कर सकते हैं।

    पूजा विधि

    उत्पन्ना एकादशी के दिन ब्रह्म बेला में उठें और भगवान विष्णु को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद स्नान-ध्यान करें। अगर सुविधा है, तो गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इस समय आचमन कर व्रत संकल्प लें। अब पीले वस्त्र धारण करें और सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके पश्चात, पूजा गृह में चौकी पर नवीन पीला वस्त्र बिछाकर भगवान की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। अब पंचोपचार कर विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा के समय विष्णु चालीसा का पाठ और मंत्र जाप करें। अंत में आरती कर सुख, समृद्धि और धन वृद्धि की कामना करें। दिन भर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती कर फलाहार करें।

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    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/जयोतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेंगी।