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Tulsi Stuti: पूजा के समय रोजाना करें तुलसी स्तुति का पाठ, कर्ज से मिलेगी मुक्ति

तुलसी के पौधे में धन की देवी मां लक्ष्मी का वास होता है। इसलिए तुलसी को माता कहकर भी संबोधित किया जाता है। हिंदू धर्म में लगभग हर घर में तुलसी का पौधा पाया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि रोजाना सच्चे मन से तुलसी की पूजा करने से मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और इंसान के जीवन में खुशियों का आगमन होता है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Published: Wed, 13 Mar 2024 01:47 PM (IST)Updated: Wed, 13 Mar 2024 01:47 PM (IST)
Tulsi Stuti: पूजा के समय रोजाना करें तुलसी स्तुति का पाठ, कर्ज से मिलेगी मुक्ति
Tulsi Stuti: पूजा के समय रोजाना करें तुलसी स्तुति का पाठ, कर्ज से मिलेगी मुक्ति

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Tulsi Stuti Lyrics: सनातन धर्म में तुलसी का पौधा पूजनीय है। इस पौधे में धन की देवी मां लक्ष्मी का वास होता है। धार्मिक मान्यता है कि रोजाना सच्चे मन से तुलसी की पूजा करने से मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और इंसान के जीवन में खुशियों का आगमन होता है। साथ ही शुभ फल की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि तुलसी पूजा के दौरान तुलसी स्तुति का पाठ और तुलसी मंत्रों का जाप करना फलदायी होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से इंसान को कर्ज से मुक्ति मिलती है और भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। आइए पढ़ते हैं तुलसी स्तुति।

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तुलसी स्तुति

मनः प्रसादजननि सुखसौभाग्यदायिनि।

आधिव्याधिहरे देवि तुलसि त्वां नमाम्यहम्॥

यन्मूले सर्वतीर्थानि यन्मध्ये सर्वदेवताः।

यदग्रे सर्व वेदाश्च तुलसि त्वां नमाम्यहम्॥

अमृतां सर्वकल्याणीं शोकसन्तापनाशिनीम्।

आधिव्याधिहरीं नॄणां तुलसि त्वां नम्राम्यहम्॥

देवैस्त्चं निर्मिता पूर्वं अर्चितासि मुनीश्वरैः।

नमो नमस्ते तुलसि पापं हर हरिप्रिये॥

सौभाग्यं सन्ततिं देवि धनं धान्यं च सर्वदा।

आरोग्यं शोकशमनं कुरु मे माधवप्रिये॥

तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भयोऽपि सर्वदा।

कीर्तिताऽपि स्मृता वाऽपि पवित्रयति मानवम्॥

या दृष्टा निखिलाघसङ्घशमनी स्पृष्टा वपुःपावनी

रोगाणामभिवन्दिता निरसनी सिक्ताऽन्तकत्रासिनी।

प्रत्यासत्तिविधायिनी भगवतः कृष्णस्य संरोपिता

न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नमः॥

॥ इति श्री तुलसीस्तुतिः ॥

मां तुलसी का पूजन मंत्र

तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

तुलसी नामाष्टक मंत्र

वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।

पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।

एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।

य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।

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