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Rangbhari Ekadashi 2024 Date: मार्च में इस दिन है रंगभरी एकादशी, नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रंगभरी एकादशी और आमलकी एकादशी के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती काशी गए थे। इसलिए इस एकादशी को बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस बार रंगभरी एकादशी व्रत 20 मार्च (Rangbhari Ekadashi 2024 Date) को है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Published: Wed, 13 Mar 2024 11:43 AM (IST)Updated: Wed, 13 Mar 2024 11:43 AM (IST)
Rangbhari Ekadashi 2024 Date: मार्च में इस दिन है रंगभरी एकादशी, नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Rangbhari Ekadashi 2024 Date: सनातन धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती काशी गए थे। इसलिए इस एकादशी को बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, रंगभरी एकादशी के दिन श्री हरि के संग भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-व्रत करने का विधान है। मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। आइए आपको बताते हैं रंगभरी एकादशी की तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

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रंगभरी एकादशी डेट 2024 और शुभ मुहूर्त (Rangbhari Ekadashi 2024 Date And Shubh Muhurat)

रंगभरी एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। पंचांग के अनुसार, रंगभरी एकादशी तिथि का प्रारंभ 20 मार्च को रात 12 बजकर 21 मिनट से होगा और इसके अगले दिन 21 मार्च को सुबह 02 बजकर 22 मिनट पर तिथि समाप्त होगी। ऐसे में रंगभरी एकादशी व्रत 20 मार्च को किया जाएगा।

रंगभरी एकादशी पूजा विधि (Rangbhari Ekadashi Puja Vidhi)

रंगभरी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और दिन की शुरुआत भगवान शिव और माता पार्वती के ध्यान से करें। इसके बाद स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। अब विधिपूर्वक भगवान शिव का जलाभिषेक करें और मां पार्वती जी को सोलह श्रृंगार अर्पित करें। शिवलिंग पर गुलाल, चंदन और बेलपत्र समेत विशेष चीजें अर्पित करें। इसके पश्चात उनकी आरती करें और रंगभरी एकादशी कथा का पाठ करें। अब भोग लगाएं और सुख-शांति की प्रार्थना करें। अंत में लोगों में प्रसाद का वितरण करें और खुद भी ग्रहण करें।

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डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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