Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Somwar Ke Upay: सोमवार के दिन महादेव की इस तरह करें पूजा, जल्द मिलेगी मनचाही नौकरी

    सनातन धर्म में सोमवार का दिन बेहद शुभ माना जाता है क्योंकि इस दिन शिव परिवार की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार महादेव की पूजा (Somwar Puja) करने से जीवन में आ रही सभी तरह की बाधा से मुक्ति मिलती और महादेव प्रसन्न होते हैं। साथ ही जातक जीवन खुशहाल होता है। इस दिन शिव चालीसा का पाठ अवश्य करना चाहिए।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Mon, 16 Sep 2024 06:30 AM (IST)
    Hero Image
    Lord Shiv: सोमवार को जरूर करें शिव चालीसा का पाठ

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। देवों के देव महादेव को सोमवार का दिन बहुत प्रिय है। इस खास अवसर पर भगवान शिव के संग मां पार्वती की पूजा विधिपूर्वक की जाती है और प्रिय चीजों का भोग लगाया जाता है। साथ ही साधक भगवान शिव के निमित्त सोमवार का व्रत रखते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस दिन शिव चालीसा (Shiv Chalisa) का पाठ जरूर करना चाहिए। इसका पाठ करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और जल्द विवाह के योग बनते हैं। साथ ही मनचाही नौकरी मिलती है। आइए पढ़ते हैं शिव चालीसा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ॥ शिव चालीसा ॥

    ॥ दोहा ॥

    जय गणेश गिरिजा सुवन,

    मंगल मूल सुजान ।

    कहत अयोध्यादास तुम,

    देहु अभय वरदान ॥

    ॥ चौपाई ॥

    जय गिरिजा पति दीन दयाला ।

    सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥

    भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।

    कानन कुण्डल नागफनी के ॥

    यह भी पढ़ें: Somwar Ke Upay: सोमवार के दिन पूजा के समय करें ये 5 आसान उपाय, आर्थिक तंगी होगी दूर

    अंग गौर शिर गंग बहाये ।

    मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥

    वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।

    छवि को देखि नाग मन मोहे ॥

    मैना मातु की हवे दुलारी ।

    बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥

    कर त्रिशूल सोहत छवि भारी ।

    करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥

    नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।

    सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥

    कार्तिक श्याम और गणराऊ ।

    या छवि को कहि जात न काऊ ॥

    देवन जबहीं जाय पुकारा ।

    तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥

    किया उपद्रव तारक भारी ।

    देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥

    तुरत षडानन आप पठायउ ।

    लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥

    आप जलंधर असुर संहारा ।

    सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥

    त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।

    सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥

    किया तपहिं भागीरथ भारी ।

    पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥

    दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।

    सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥

    वेद नाम महिमा तव गाई।

    अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥

    प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।

    जरत सुरासुर भए विहाला ॥

    कीन्ही दया तहं करी सहाई ।

    नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥

    पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।

    जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥

    सहस कमल में हो रहे धारी ।

    कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥

    एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।

    कमल नयन पूजन चहं सोई ॥

    कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।

    भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥

    जय जय जय अनन्त अविनाशी ।

    करत कृपा सब के घटवासी ॥

    दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।

    भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥

    त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।

    येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥

    लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।

    संकट से मोहि आन उबारो ॥

    मात-पिता भ्राता सब होई ।

    संकट में पूछत नहिं कोई ॥

    स्वामी एक है आस तुम्हारी ।

    आय हरहु मम संकट भारी ॥

    धन निर्धन को देत सदा हीं ।

    जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥

    अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।

    क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥

    शंकर हो संकट के नाशन ।

    मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥

    योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।

    शारद नारद शीश नवावैं ॥

    नमो नमो जय नमः शिवाय ।

    सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥

    जो यह पाठ करे मन लाई ।

    ता पर होत है शम्भु सहाई ॥

    ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।

    पाठ करे सो पावन हारी ॥

    पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।

    निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥

    पण्डित त्रयोदशी को लावे ।

    ध्यान पूर्वक होम करावे ॥

    त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।

    ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥

    धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।

    शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥

    जन्म जन्म के पाप नसावे ।

    अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥

    कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।

    जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥

    ॥ दोहा ॥

    नित्त नेम कर प्रातः ही,

    पाठ करौं चालीसा ।

    तुम मेरी मनोकामना,

    पूर्ण करो जगदीश ॥

    मगसर छठि हेमन्त ॠतु,

    संवत चौसठ जान ।

    अस्तुति चालीसा शिवहि,

    पूर्ण कीन कल्याण

    यह भी पढ़ें: Somwar Puja: इस स्तुति के पाठ से विवाह में आ रही बाधा दूर होगी, जल्द बजेगी शहनाई


    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।