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    Somwar Puja: इस स्तुति के पाठ से विवाह में आ रही बाधा दूर होगी, जल्द बजेगी शहनाई

    सनातन धर्म में देवों के देव महादेव (Lord Shiv) को देवी-देवताओं में सबसे उच्च स्थान प्राप्त है। सनातन शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और सोमवार व्रत करने से सुहागिन महिलाओं सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है और पति को लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Mon, 09 Sep 2024 06:30 AM (IST)
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    Lord Shiv: इस तरह करें महादेव की पूजा

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सोमवार का दिन महादेव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन साधक शिव जी की कृपा प्राप्ति के लिए व्रत करते हैं और विशेष चीजों का दान करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से साधक के विवाह में आ रही बाधा दूर होती है। अगर आप भी महादेव का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस दिन शिव स्तुति (Shiv Stuti Lyrics) का पाठ करें। ऐसा करने से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है।

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    ।।शिव स्तुति मंत्र।।

    पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम।

    जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।1।

    महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।

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    विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।2।

    गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्।

    भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।3।

    शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्।

    त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप: प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।4।

    परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्।

    यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्।5।

    न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायुर्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा।

    न गृष्मो न शीतं न देशो न वेषो न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीड।6।

    अजं शाश्वतं कारणं कारणानां शिवं केवलं भासकं भासकानाम्।

    तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम।7।

    नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते।

    नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्।8।

    प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ महादेव शंभो महेश त्रिनेत्।

    शिवाकान्त शान्त स्मरारे पुरारे त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:।9।

    शंभो महेश करुणामय शूलपाणे गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्।

    काशीपते करुणया जगदेतदेक-स्त्वंहंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि।10।

    त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ।

    त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वरूपिन।11।

    भगवान शिव के मंत्र

    • ओम नम: शिवाय
    • ओम महेश्वराय नमः
    • ओम पशुपतये नमः
    • ऊँ शं शंकराय भवोद्भवाय शं ऊँ नमः
    • नमामिशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं
    • ऊँ शं विश्वरूपाय अनादि अनामय शं ऊँ
    • ऊँ क्लीं क्लीं क्लीं वृषभारूढ़ाय वामांगे गौरी कृताय क्लीं क्लीं क्लीं ऊँ नमः शिवाय
    • ऊँ शं शं शिवाय शं शं कुरु कुरु ऊँ

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।