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    Skanda Sashti 2025: पूर्ण फल प्राप्ति के लिए स्कंद षष्ठी पर करें कार्तिकेय जी की आरती व मंत्रों का जप

    Updated: Sun, 01 Jun 2025 09:33 AM (IST)

    दक्षिण भारत में भगवान स्कंद के मुरुगन और सुब्रहमन्य आदि नाम अधिक प्रचलित हैं और इन्हें इसी रूप में पूजा जाता है। माना जाता है कि स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करने से साधक के जीवन में आ रही सभी दुख-दर्द दूर होते हैं और उसे सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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    Skanda Sashti 2025 (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर स्कंद षष्ठी का पर्व मनाया जाता है। यह तिथि मुख्य रूप से भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय जी को समर्पित मानी गई है। तमिल हिंदुओं में इस पर्व को बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। ऐसे में चलिए पढ़ते हैं स्कंद षष्ठी के मौके पर भगवान कार्तिकेय जी की आरती व कृपा प्राप्ति के मंत्र।

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    स्कंद षष्ठी का शुभ मुहूर्त (Skanda Sashti 2025 Shubh Muhurat)

    ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि 31 मार्च को रात 8 बजकर 15 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 1 जून को रात 7 बजकर 59 मिनट पर होगा। ऐसे में स्कंद षष्ठी का पर्व रविवार, 1 जून को मनाया जाएगा।

    स्कंद षष्ठी पूजा विधि (Skanda Sashti Puja Vidhi)

    स्कंद षष्ठी के दिन सुबह जल्दी स्नान आदि से निवृत होने के बाद मंदिर की अच्छे से साफ-सफाई करें। इसके बाद भगवान स्कंद की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। भगवान कार्तिकेय के साथ-साथ भगवान शिव और माता पार्वती की भी विधिवत रूप से पूजा करें।

    कार्तिकेय जी को पूजा में फूल, चंदन, धूप, दीप और नैवेद्य आदि अर्पित करें। भोग के रूप में फल और मिठाई अर्पित करें। इसी के साथ आप भगवान कार्तिकेय को मोरपंख अर्पित कर सकते हैं। अंत में भगवान स्कंद के मंत्रों व आरती का पाठ करें और सभी लोगों में प्रसाद बांटें।

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    कार्तिकेय जी की आरती

    जय जय आरती वेणु गोपाला

    वेणु गोपाला वेणु लोला

    पाप विदुरा नवनीत चोरा

    जय जय आरती वेंकटरमणा

    वेंकटरमणा संकटहरणा

    सीता राम राधे श्याम

    जय जय आरती गौरी मनोहर

    गौरी मनोहर भवानी शंकर

    सदाशिव उमा महेश्वर

    जय जय आरती राज राजेश्वरि

    राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि

    महा सरस्वती महा लक्ष्मी

    महा काली महा लक्ष्मी

    जय जय आरती आन्जनेय

    आन्जनेय हनुमन्ता

    जय जय आरति दत्तात्रेय

    दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार

    जय जय आरती सिद्धि विनायक

    सिद्धि विनायक श्री गणेश

    जय जय आरती सुब्रह्मण्य

    सुब्रह्मण्य कार्तिकेय

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    करें इन मंत्रों का जप

    शत्रु नाशक मंत्र -

    1. कार्तिकेय गायत्री मंत्र - ओम तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कन्दा प्रचोद्यात:

    2. ऊं शारवाना-भावाया नमः

    ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा

    देवसेना मनः काँता कार्तिकेया नामोस्तुते

    ऊं सुब्रहमणयाया नमः

    3. सफलता हेतु मंत्र -

    आरमुखा ओम मुरूगा

    वेल वेल मुरूगा मुरूगा

    वा वा मुरूगा मुरूगा

    वादी वेल अज़्गा मुरूगा

    अदियार एलाया मुरूगा

    अज़्गा मुरूगा वरूवाई

    वादी वेलुधने वरूवाई

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।