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    Shivling Puja: अशोक सुंदरी से लेकर कार्तिकेय तक, शिवलिंग पर विराजमान हैं ये देवी-देवता, जानिए पूजा विधि

    Updated: Wed, 24 Apr 2024 01:29 PM (IST)

    हिंदू धर्म में भगवान शिव के स्वरूप माने गए शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है। शिवपुराण के अनुसार शिवलिंग पर केवल शिव जी का ही निवास नहीं होता बल्कि मां पार्वती गणेश जी कार्तिकेय और अशोक सुंदरी भी विराजित होते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि शिवलिंग पर इनका स्थान कहां-कहां है और किस तरह इनकी पूजा की जानी चाहिए।

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    Shivling Puja Niyam शिवलिंग के इन तीन स्थानों की जरूर करें पूजा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shivling Abhishek Niyam: माना जाता है कि शिवलिंग पर मौजूद अलग-अलग स्थानों की पूजा-अर्चना करने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। शिवलिंग पर भगवान शिव के साथ-साथ मां पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय और अशोक सुंदरी का भी स्थान माना गया है। ऐसे में इन अलग-अलग स्थानों की पूजा से आप इनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

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    यहां होता है अशोक सुंदरी का स्थान

    पद्मपुराण में भगवान शिव और देवी पार्वती की बेटी अशोक सुंदरी का उल्लेख किया गया है। शिवलिंग में जिस स्थान से जल बहकर निकलता है, उस स्थान को अशोक सुंदरी का स्थान माना जाता है। अशोक सुंदरी की पूजा करने के लिए सबसे पहले शुद्ध जल में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग को स्नान कराएं।

    शिवलिंग पर चंदन का तिलक लगाने के बाद अशोक सुंदरी के स्थान पर चंदन का तिलक लगांए। अब शिवलिंग पर बेलपत्र, फूल माला आदि अर्पित करें। इसके बाद अशोक सुंदरी का ध्यान करते हुए अपनी इच्छा अशोक सुंदरी को बताएं। ऐसा करने से आपकी मनोकामना जल्द पूरी होती है।

    यहां विराजमान हैं कार्तिकेय और गणेश

    शिव पुराण के अनुसार, जलाधारी के आगे की ओर जो पद चिन्ह नजर आते हैं, उस स्थान पर कार्तिक और गणेश जी का वास माना जाता है। ऐसे में शिवलिंग पर जल चढ़ाते के बाद इस स्थान पर दोनों ओर 5 से 7 बार अपने हाथों से इस प्रकार दबाना चाहिए जैसे आप किसी के पैर दबा रहे हैं। इस दौरान श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का जाप करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को संतान सुख की प्राप्ति हो सकती है। इसके साथ ही यदि आपकी संतान को कोई बीमारी या समस्या है, तो उससे भी राहत मिल सकती है।

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    शिवलिंग का तीसरा स्थान

    जलाधारी के पीछे एक गोल स्थान होता है, जिसे मां पार्वती का हस्त कमल माना जाता है। इस स्थान को अपने दोनों हाथों से स्पर्श करना चाहिए। साथ ही भगवान भोलेनाथ से भी अपनी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। इस दौरान ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करते रहें। माना जाता है कि ऐसा करने से साधक को कई प्रकार की बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है।

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'