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    Sheetala Ashtami 2025: शीतला अष्टमी पर करें इस चालीसा का पाठ, आरोग्य का वरदान देंगी देवी

    हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र कृष्ण अष्टमी के दिन शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami 2025) का व्रत किया जाता है। ऐसे में इस यह व्रत शनिवार 22 मार्च को किया जा रहा है। यह पर्व बासोड़ा या फिर बसोड़ा नाम से भी प्रसिद्ध है। इस दिन मुख्य रूप में मां शीतला की पूजा-अर्चना की जाती है जिन्हें आरोग्य की देवी माना गया है।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 21 Mar 2025 10:00 PM (IST)
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    Sheetala Ashtami 2025 इस तरह प्राप्त करें देवी शीतला की कृपा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। स्कंद पुराण में माता शीतला (Shitala Mata) का विस्तार से वर्णन किया गया है, जिसके अनुसार, माता शीतला भगवान शिव की अर्धांगिनी शक्ति अर्थात मां पार्वती का ही स्वरूप हैं। ऐसे में आप शीतला अष्टमी के दिन पर पार्वती जी की चालीसा का पाठ करके उनकी विशेष कृपा की प्राप्ति कर सकते हैं, जिससे आपको आरोग्य का आशीर्वाद मिल सकता है।

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    इस पर्व की खास बात यह है कि इस दिन पर माता शीतला को एक दिन पहले बनाए गए यानी बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। साथ ही यह भी मान्यता है कि इस भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण करने से साधक व उसका परिवार कई स्वास्थ्य समस्याओं से दूर रहते हैं।

    श्रीपार्वती चालीसा (Parvati Chalisa)

    पार्वती चालीसा दोहा

    जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि,

    गणपति जननी पार्वती, अम्बे, शक्ति, भवानि ।

    पार्वती चालीसा चौपाई

    ब्रह्मा भेद न तुम्हरे पावे, पंच बदन नित तुमको ध्यावे ।

    षड्मुख कहि न सकत यश तेरो, सहसबदन श्रम करत घनेरो ।

    तेरो पार न पावत माता, स्थित रक्षा लय हित सजाता ।

    अधर प्रवाल सदृश अरुणारे, अति कमनीय नयन कजरारे ।

    ललित लालट विलेपित केशर, कुंकुंम अक्षत शोभा मनोहर ।

    कनक बसन कञ्चुकि सजाये, कटी मेखला दिव्य लहराए ।

    कंठ मदार हार की शोभा, जाहि देखि सहजहि मन लोभ ।

    बालारुण अनंत छवि धारी, आभूषण की शोभा प्यारी ।

    नाना रत्न जड़ित सिंहासन, तापर राजित हरी चतुरानन ।

    इन्द्रादिक परिवार पूजित, जग मृग नाग यक्ष रव कूजित ।

    गिर कैलाश निवासिनी जय जय, कोटिकप्रभा विकासिनी जय जय ।

    त्रिभुवन सकल, कुटुंब तिहारी, अणु अणु महं तुम्हारी उजियारी ।

    हैं महेश प्राणेश, तुम्हारे, त्रिभुवन के जो नित रखवारे ।

    उनसो पति तुम प्राप्त कीन्ह जब, सुकृत पुरातन उदित भए तब ।

    बुढा बैल सवारी जिनकी, महिमा का गावे कोउ तिनकी ।

    सदा श्मशान विहरी शंकर, आभूषण हैं भुजंग भयंकर ।

    कंठ हलाहल को छवि छायी, नीलकंठ की पदवी पायी ।

    देव मगन के हित अस किन्हों, विष लै आपु तिनहि अमि दिन्हो ।

    ताकी, तुम पत्नी छवि धारिणी, दुरित विदारिणी मंगल कारिणी ।

    देखि परम सौंदर्य तिहारो, त्रिभुवन चकित बनावन हारो ।

    भय भीता सो माता गंगा, लज्जा मय है सलिल तरंगा ।

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    सौत सामान शम्भू पहआयी, विष्णु पदाब्ज छोड़ि सो धायी ।

    तेहि कों कमल बदन मुर्झायो, लखी सत्वर शिव शीश चढायो ।

    नित्यानंद करी वरदायिनी, अभय भक्त कर नित अनपायिनी ।

    अखिल पाप त्रय्ताप निकन्दनी , माहेश्वरी ,हिमालय नन्दिनी ।

    काशी पूरी सदा मन भायी, सिद्ध पीठ तेहि आपु बनायीं ।

    भगवती प्रतिदिन भिक्षा दात्री, कृपा प्रमोद सनेह विधात्री ।

    रिपुक्षय कारिणी जय जय अम्बे, वाचा सिद्ध करी अवलम्बे ।

    गौरी उमा शंकरी काली, अन्नपूर्णा जग प्रतिपाली ।

    सब जन की ईश्वरी भगवती, पतप्राणा परमेश्वरी सती ।

    शीतला अष्टमी के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 40 मिनट से शाम 06 बजकर 49 मिनट तक रहने वाला है। इस दिन पर आप विधि-विधान से माता शीतला की पूजा-अर्चना कर सुख-सौभाग्य व आरोग्य की प्राप्ति कर सकते हैं।

    तुमने कठिन तपस्या किणी, नारद सो जब शिक्षा लीनी ।

    अन्न न नीर न वायु अहारा, अस्थि मात्रतन भयउ तुम्हारा ।

    पत्र घास को खाद्या न भायउ, उमा नाम तब तुमने पायउ ।

    तप बिलोकी ऋषि सात पधारे, लगे डिगावन डिगी न हारे ।

    तव तव जय जय जयउच्चारेउ, सप्तऋषि, निज गेह सिद्धारेउ ।

    सुर विधि विष्णु पास तब आए, वर देने के वचन सुनाए ।

    मांगे उमा वर पति तुम तिनसो, चाहत जग त्रिभुवन निधि, जिनसों ।

    एवमस्तु कही ते दोऊ गए, सुफल मनोरथ तुमने लए ।

    करि विवाह शिव सों हे भामा, पुनः कहाई हर की बामा ।

    जो पढ़िहै जन यह चालीसा, धन जनसुख देइहै तेहि ईसा ।

    पार्वती चालीसा दोहा

    कूट चन्द्रिका सुभग शिर जयति सुख खानी,

    पार्वती निज भक्त हित रहहु सदा वरदानी ।

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