Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्र के दौरान रोजाना करें इन मंत्रों का जप, खुशियों से भर जाएगा संसार
शारदीय नवरात्र का त्योहार (Shardiya Navratri 2025) देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दौरान जगत की देवी मां दुर्गा पृथ्वी लोक पर निवास करती हैं। इसके लिए मां दुर्गा की कठिन भक्ति और साधना की जाती है। मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की हर परेशानी दूर हो जाती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, सोमवार 22 सितंबर से लेकर बुधवार 01 अक्टूबर तक शारदीय नवरात्र है। यह पर्व देवी मां दुर्गा को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर रोजाना जगत की देवी मां दुर्गा की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही मनचाही मुराद पाने के लिए उनके निमित्त व्रत रखा जाता है।
शारदीय नवरात्र का व्रत करने से साधक पर मां दुर्गा की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से साधक की मनचाही मुराद पूरी होती है। अगर आप भी देवी मां दुर्गा को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो शारदीय नवरात्र के दौरान रोजाना देवी मां दुर्गा की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।
मां दुर्गा मंत्र
1. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्तिमन्विते ।
भये भ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमो स्तुते ॥
हिनस्ति दैत्येजंसि स्वनेनापूर्य या जगत् ।
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्यो नः सुतानिव ॥
शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे ।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमो स्तुते ॥
2. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
3. रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभिष्टान् ।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति ॥
4. देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते ।
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ॥
5. जयन्ती मड्गला काली भद्रकाली कपालिनी ।
दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा स्वधा नमो स्तुते ॥
6. सृष्टि स्तिथि विनाशानां शक्तिभूते सनातनि ।
गुणाश्रेय गुणमये नारायणि नमो स्तुते ॥
7. “दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो:
स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्र्यदु:खभयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽर्द्रचित्ता॥”
8. शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च॥
9. देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥
10. नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे |
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ||
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