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    Shardiya Navratri 2023 Day 6: मां कात्यायनी की पूजा के समय करें इस चालीसा का पाठ, चमक उठेगा सोया हुआ भाग्य

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Thu, 19 Oct 2023 01:31 PM (IST)

    सनातन शास्त्रों में मां कात्यायनी की महिमा का वर्णन विस्तार पूर्वक किया गया है। मां कात्यायनी की पूजा करने से साधक को मृत्यु लोक में स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही आय सौभाग्य और आयु में वृद्धि होती है। मां अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती है। उनकी कृपा से साधक के जीवन में केवल मंगल ही मंगल होता है।

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    Shardiya Navratri 2023: मां कात्यायनी की पूजा के समय करें इस चालीसा का पाठ

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Shardiya Navratri 2023 Day 6: शारदीय नवरात्र के छठे दिन मां कात्यायनी की विधि पूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। सनातन शास्त्रों में मां कात्यायनी की महिमा का वर्णन विस्तार पूर्वक किया गया है। मां कात्यायनी की पूजा करने से साधक को मृत्यु लोक में स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही आय, सौभाग्य और आयु में वृद्धि होती है। मां अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाती है। उनकी कृपा से साधक के जीवन में केवल मंगल ही मंगल होता है। अतः साधक श्रद्धा भाव से मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना करते हैं। अगर आप भी मां कात्यायनी की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो पूजा के समय इस चालीसा का पाठ अवश्य करें। साथ ही श्रद्धा भाव से मां की आरती-अर्चना करें।

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    दुर्गा चालीसा

    नमो नमो दुर्गे सुख करनी।

    नमो नमो अंबे दुःख हरनी॥

    निरंकार है ज्योति तुम्हारी।

    तिहूं लोक फैली उजियारी॥

    शशि ललाट मुख महाविशाला।

    नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥

    रूप मातु को अधिक सुहावे।

    दरश करत जन अति सुख पावे॥

    अन्नपूर्णा हुई जग पाला।

    तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥

    प्रलयकाल सब नाशन हारी।

    तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥

    शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।

    ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥

    धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।

    परगट भई फाड़कर खम्बा॥

    रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।

    हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥

    लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।

    श्री नारायण अंग समाहीं॥

    हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।

    महिमा अमित न जात बखानी॥

    मातंगी अरु धूमावति माता।

    भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥

    श्री भैरव तारा जग तारिणी।

    छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥

    कर में खप्पर खड्ग विराजै।

    जाको देख काल डर भाजै॥

    सोहै अस्त्र और त्रिशूला।

    जाते उठत शत्रु हिय शूला॥

    नगरकोट में तुम्हीं विराजत।

    तिहुँ लोक में डंका बाजत॥

    महिषासुर नृप अति अभिमानी।

    जेहि अघ भार मही अकुलानी॥

    रूप कराल कालिका धारा।

    सेन सहित तुम तिहि संहारा॥

    परी गाढ़ सन्तन पर जब जब।

    भई सहाय मातु तुम तब तब॥

    ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।

    तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥

    प्रेम भक्ति से जो यश गावें।

    दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥

    ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।

    जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥

    शंकर आचारज तप कीनो।

    काम क्रोध जीति सब लीनो॥

    निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।

    काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥

    शक्ति रूप का मरम न पायो।

    शक्ति गई तब मन पछितायो॥

    भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।

    दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥

    मोको मातु कष्ट अति घेरो।

    तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥

    आशा तृष्णा निपट सतावें।

    रिपु मुरख मोही डरपावे॥

    करो कृपा हे मातु दयाला।

    ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।

    जब लगि जियऊं दया फल पाऊं।

    तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥

    श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।

    सब सुख भोग परम पद पावै॥

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    मां कात्यायनी की आरती

    जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।

    जय जगमाता, जग की महारानी।

    बैजनाथ स्थान तुम्हारा।

    वहां वरदाती नाम पुकारा।

    कई नाम हैं, कई धाम हैं।

    यह स्थान भी तो सुखधाम है।

    हर मंदिर में जोत तुम्हारी।

    कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।

    हर जगह उत्सव होते रहते।

    हर मंदिर में भक्त हैं कहते।

    कात्यायनी रक्षक काया की।

    ग्रंथि काटे मोह माया की।

    झूठे मोह से छुड़ाने वाली।

    अपना नाम जपाने वाली।

    बृहस्पतिवार को पूजा करियो।

    ध्यान कात्यायनी का धरियो।

    हर संकट को दूर करेगी।

    भंडारे भरपूर करेगी।

    जो भी मां को भक्त पुकारे।

    कात्यायनी सब कष्ट निवारे।

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।