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Shardiya Navratri 2022: शारदीय नवरात्र के आठवें दिन करें मां महागौरी चालीसा का पाठ, जीवन के हर कष्ट होंगे दूर

Shardiya Navratri 2022 हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्र का काफी अधिक महत्व है। नवरात्र के आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा करने का विधान है। आज के दिन महागौरी की पूजा करने के साथ इस चालीसा का पाठ जरूर करें।

By Jagran NewsEdited By: Shivani SinghPublished: Mon, 03 Oct 2022 08:03 AM (IST)Updated: Mon, 03 Oct 2022 08:03 AM (IST)
Shardiya Navratri 2022: शारदीय नवरात्र के आठवें दिन करें मां महागौरी चालीसा का पाठ, जीवन के हर कष्ट होंगे दूर
Shardiya Navratri 2022: शारदीय नवरात्र के आठवें दिन करें मां महागौरी चालीसा का पाठ

नई दिल्ली, Shardiya Navratri 2022 Maa Mahagauri Chalisa: शारदीय नवात्र के आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा करने का विधान है। आद के दिन महागौरी की पूजा करने के साथ कन्या पूजन करने से हर कष्ट से छुटकारा मिल जाता है और मां दुर्गा की कृपा से बिगड़ते हुएओ काम भी सुचारु रूप से बनने लगते हैं। मां महागौरी का स्वरूप अत्यंत गोरा है और शांत स्वभाव की हैं। मां बैल की सवारी करती है। माना जाता है कि नवरात्र के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा करने के साथ मंत्र, आरती के साथ-साथ चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए। मां महागौरी चालीसा का पाठ करने से सभी प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही वैवाहिक जीवन में आने वाली परेशानियों से भी छुटकारा मिल जाता है। जिन लोगों की शादी में कोई न कोई अड़चन आ रही हो वो लोग आज महागौरी चालीसा का पाठ जरूर करें।

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मां महागौरी की चालीसा

मन मंदिर मेरे आन बसो,आरंभ करूं गुणगान,

गौरी मां मातेश्वरी, दो चरणों का ध्यान।

पूजन विधि न जानती, पर श्रद्धा है आपर,

प्रणाम मेरा स्विकारिये, हे मा प्राण आधार।

नमो नमो हे गौरी माता, आप हो मेरी भाग्य विधाता,

शरनागत न कभी गभराता, गौरी उमा शंकरी माता।

आपका प्रिय है आदर पाता, जय हो कार्तिकेय गणेश की माता,

महादेव गणपति संग आओ, मेरे सकल कलेश मिटाओ।

सार्थक हो जाए जग में जीना, सत्कर्मों से कभी हटु ना,

सकल मनोरथ पूर्ण कीजो, सुख सुविधा वरदान में दीज्यो।

हे माँ भाग्य रेखा जगा दो, मन भावन सुयोग मिला दो,

मन को भाए वो वर चाहु, ससुराल पक्ष का स्नेहा मै पायु।

परम आराध्या आप हो मेरी, फ़िर क्यूं वर मे इतनी देरी,

हमरे काज सम्पूर्ण कीजियो, थोड़े में बरकत भर दीजियो।

अपनी दया बनाए रखना, भक्ति भाव जगाये रखना,

गौरी माता अनसन रहना, कभी न खोयूं मन का चैना।

देव मुनि सब शीश नवाते, सुख सुविधा को वर मै पाते,

श्रद्धा भाव जो ले कर आया, बिन मांगे भी सब कुछ पाया।

हर संकट से उसे उबारा, आगे बढ़ के दिया सहारा,

जब भी माँ आप स्नेह दिखलावे, निराश मन मे आस जगावे।

शिव भी आपका काहा ना टाले, दया द्रष्टि हम पे डाले,

जो जन करता आपका ध्यान, जग मे पाए मान सम्मान।

सच्चे मन जो सुमिरन करती, उसके सुहाग की रक्षा करती,

दया द्रष्टि जब माँ डाले, भव सागर से पार उतारे।

जपे जो ओम नमः शिवाय, शिव परिवार का स्नेहा वो पाए,

जिसपे आप दया दिखावे, दुष्ट आत्मा नहीं सतावे।

सता गुन की हो दता आप, हर इक मन की ग्याता आप,

काटो हमरे सकल कलेश, निरोग रहे परिवार हमेश।

दुख संताप मिटा देना मां, मेघ दया के बरसा देना मां,

जबही आप मौज में आय, हठ जय मां सब विपदाएं।

जीसपे दयाल हो माता आप, उसका बढ़ता पुण्य प्रताप,

फल-फूल मै दुग्ध चढ़ाऊ, श्रद्धा भाव से आपको ध्यायु।

अवगुन मेरे ढक देना मां, ममता आंचल कर देना मां,

कठिन नहीं कुछ आपको माता, जग ठुकराया दया को पाता।

बिन पाऊ न गुन मां तेरे, नाम धाम स्वरूप बहू तेरे,

जितने आपके पावन धाम, सब धामो को माँ प्राणम।

आपकी दया का है ना पार, तभी को पूजे कुल संसार,

निर्मल मन जो शरण मे आता, मुक्ति की वो युक्ति पाता।

संतोष धन्न से दामन भर दो, असम्भव को मां संभव कर दो,

आपकी दया के भारे, सुखी बसे मेरा परिवार।

अपकी महिमा अति निराली, भक्तो के दुःख हरने वाली,

मनोकामना पुरन करती, मन की दुविधा पल मे हरती।

चालीसा जो भी पढे-सुनाया, सुयोग्य वर वरदान मे पाए,

आशा पूर्ण कर देना माँ, सुमंगल साखी वर देना माँ।

गौरी मां विनती करूं, आना आपके द्वार,

ऐसी मां कृपा किजिए, हो जाए उद्धहार।

हीं हीं हीं शरण मे, दो चरणों का ध्यान,

ऐसी मां कृपा कीजिए, पाऊं मान सम्मान।

Pic Credit- Freepik

डिसक्लेमर

इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।


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