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    Navratri 2022 Maa Durga Aarti: नवरात्र पर्व में सुबह शाम करें मां दुर्गा जी की आरती

    By JagranEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Mon, 26 Sep 2022 12:10 PM (IST)

    Shardiya Navratri 2022 Devi Durga Mantra नवरात्र पर्व के सभी नौ दिनों में देवी दुर्गा के नौ शक्तिशाली स्वरूप की विधि-विधान से की जाती है। शास्त्रों के ...और पढ़ें

    Navratri 2022 Maa Durga Aarti: नवरात्र पर्व के दौरान जरूर पढ़ें मां की आरती।
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    नई दिल्ली, Navratri 2022, Maa Durga Aarti: हिन्दू धर्म में मां दुर्गा को शक्ति और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि नवरात्र पर्व में मां दुर्गा के प्रति आस्था रखने वाले भक्त नवदुर्गा की पूजा करते हैं। 26 सितंबर से शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2022 Date) पर्व की शुरुआत हो चुकी है। इस बीच मां दुर्गा का धरती पर आगमन होता है और वह अपने भक्तों की प्रार्थना सुनती हैं। शारदीय नवरात्र पर्व में कलशस्थापना की जाती और अखंड ज्योति प्रज्वलित की जाती है। साथ ही प्रातः और संध्या काल में परिवार के साथ आरती पाठ किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार नवरात्र में मां दुर्गा आरती का पाठ करने से भक्तों को बहुत लाभ होता है और उनके सभी दुःख-दर्द दूर हो जाते हैं।

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    मां दुर्गा जी की आरती (Navratri 2022 Maa Durga Aarti)

    जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।

    तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री।। जय अम्बे गौरी,...।

    मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को।

    उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।। जय अम्बे गौरी,...।

    कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।

    रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।। जय अम्बे गौरी,...।

    केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।

    सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।। जय अम्बे गौरी,...।

    कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।

    कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।। जय अम्बे गौरी,...।

    शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती।

    धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।। जय अम्बे गौरी,...।

    चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे।

    मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।। जय अम्बे गौरी,...।

    ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।

    आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।। जय अम्बे गौरी,...।

    चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू।

    बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।। जय अम्बे गौरी,...।

    तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।

    भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।। जय अम्बे गौरी,...।

    भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी।

    मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।। जय अम्बे गौरी,...।

    कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।

    श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।। जय अम्बे गौरी,...।

    अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।

    कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।। जय अम्बे गौरी,...।

    बोलो अंबे माता की जय!!

    डिसक्लेमर

    इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।