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    Shardiya Navratri 2022 Day 4: शारदीय नवरात्र के चौथे दिन की जाएगी मां कूष्मांडा की पूजा, जानें मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र

    By Shivani SinghEdited By:
    Updated: Thu, 29 Sep 2022 07:45 AM (IST)

    Shardiya Navratri 2022 Day 4 नवरात्र के चौथे दिन मां कूष्मांडा देवी की पूजा की जाएगी। मां कुष्मांडा को कष्ट हरने वाली मां माना जाता है। नवरात्र के चौथे दिन विधिवत तरीके से मां कुष्मांडा की पूजा करें।

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    Shardiya Navratri 2022 Day 4: नवरात्र के चौथे दिन करें मां कुष्मांडा देवी की पूजा

    नई दिल्ली, Shardiya Navratri 2022 Day 4: हिंदू धर्म में नवरात्र का काफी अधिक महत्व है। नवरात्र के दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूप की पूजा की जाती है। वहीं चौथे दिन मां कूष्मांडा देवी की पूजा की जाएगी। माना जाता है कि मां कूष्मांडा देवी ने सृष्टि की रचना की थी। कूष्मांडा एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है कुम्हड़ा यानी पेठा की बलि देना। माना जाता है कि मां कूष्मांडा की पूजा करने से हर तरह के कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। जानिए मां कूष्मांडा की पूजा का शुभ मुहूर्त, स्वरूप और मंत्र।

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    मां कूष्मांडा की पूजा का शुभ मुहूर्त

    नवमी तिथि आरंभ- 29 सितंबर को तड़के 1 बजकर 27 मिनट से शुरू

    नवमी तिथि समाप्त- 30 सितंबर सुबह 12 बजकर 9 मिनट तक

    विशाखा नक्षत्र- 29 सितंबर सुबह 5 बजकर 52 मिनट से 30 सितंबर सुबह 5 बजकर 13 मिनट तक

    अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 35 मिनट से दोपहर 12 बजकर 22 मिनट तक

    कैसा है मां कूष्मांडा का स्वरूप?

    मां कूष्मांडा नौ देवियों में से चौथा अवतार माना जाता है। मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं होती है। इसी कारण उन्हें अष्ठभुजा के नाम से जाना जाता है। बता दें कि मां के एक हाथ में जपमाला होता है। इसके साथ ही अन्य सात हाथों में धनुष, बाण, कमंडल, कमल, अमृत पूर्ण कलश, चक्र और गदा शामिल है।

    ऐसे करें मां कूष्मांडा की पूजा

    इस दिन सुबह उठकर सभी कामों ने निवृत्त होकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद विधिवत तरीके से मां दुर्गा और नौ स्वरूपों के साथ कलश की पूजा करें। मां दुर्गा को सिंदूर, पुष्प, माला, अक्षत आदि चढ़ाएं। इसके बाद मालपुआ का भोग लगाएं और फिर जल अर्पित करें। इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर मां दुर्गा चालीसा , दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। इसके साथ ही इस मंत्र का करीब 108 बार जाप जरूर करें।

    मंत्र

    1. सर्व स्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्ति समन्विते।

    भयेभ्य्स्त्राहि नो देवि कूष्माण्डेति मनोस्तुते।।

    2. ऊं देवी कूष्माण्डायै नमः॥

    3- 'ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडा नम:

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'