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    Shaniwar ke Upay: शनिवार के दिन इस एक पाठ को करने से मिलेगा लाभ, बजरंगबली की भी मिलेगी कृपा

    Updated: Sat, 17 May 2025 08:14 AM (IST)

    शनि देव सूर्य देव के पुत्र हैं जिन्हें न्याय के देवता और कर्मफल दाता के रूप में भी जाना जाता है। माना जाता है कि कुंडली में शनि दोष होने पर व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में आप शनिदेव के दिन ये पाठ करके शनि देव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

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    Shaniwar ke Upay शनिवार को कौन-सा पाठ करना चाहिए

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित माना जाता है। इस दिन पर आप शनिदेव के साथ-साथ हनुमान जी की आराधना करके भी शनि दोष से राहत पा सकते हैं। ऐसे में इस दिन पर बजरंग बाण का पाठ जरूर करना चाहिए। 

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    बजरंग बाण

    दोहा

    निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान ।

    तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करें हनुमान ॥

    जय हनुमन्त संत हितकारी ।

    सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।।

    जन के काज बिलम्ब न कीजै ।

    आतुर दौरि महासुख दीजै ।।

    जैसे कूदी सिन्धु महि पारा ।

    सुरसा बदन पैठी विस्तारा ।।

    आगे जाय लंकिनी रोका ।

    मारेहु लात गई सुर लोका ।।

    जाय विभीषण को सुख दीन्हा ।

    सीता निरखि परम-पद लीना ।।

    बाग उजारि सिन्धु मह बोरा ।

    अति आतुर जमकातर तोरा ।।

    अक्षय कुमार मारि संहारा ।

    लूम लपेटि लंक को जारा ।।

    लाह समान लंक जरि गई ।

    जय-जय धुनि सुरपुर में भई ।।

    अब बिलम्ब केहि कारन स्वामी ।

    कृपा करहु उर अन्तर्यामी ।।

    जय जय लखन प्रान के दाता ।

    आतुर होई दु:ख करहु निपाता ।।

    जै गिरिधर जै जै सुख सागर ।

    सुर-समूह-समरथ भट-नागर॥

    ओम हनु हनु हनु हनुमंत हठीले ।

    बैरिहि मारु बज्र की कीले॥

    गदा बज्र लै बैरिहि मारो ।

    महाराज प्रभु दास उबारो ।।

    ओंकार हुंकार महाप्रभु धाओ ।

    बज्र गदा हनु विलम्ब न लाओ ।।

    ओम ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा ।

    ओम हुं हुं हुं हनु अरि उर-सीसा॥

    सत्य होहु हरी शपथ पायके ।

    राम दूत धरु मारू जायके

    जय जय जय हनुमन्त अगाधा ।

    दुःख पावत जन केहि अपराधा ।।

    पूजा जप-तप नेम अचारा ।

    नहिं जानत हो दास तुम्हारा ।।

    वन उपवन मग गिरि गृह मांहीं ।

    तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ।।

    (Picture Credit: Freepik)

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    पायं परौं कर जोरी मनावौं ।

    येहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।।

    जय अंजनी कुमार बलवंता ।

    शंकर सुवन वीर हनुमंता ।।

    बदन कराल काल कुलघालक।

    राम सहाय सदा प्रतिपालक ।।

    भूत प्रेत पिसाच निसाचर।

    अगिन वैताल काल मारी मर ।।

    इन्हें मारु, तोहि शपथ राम की ।

    राखउ नाथ मरजाद नाम की ।।

    जनकसुता हरि दास कहावो ।

    ताकी शपथ विलम्ब न लावो ।।

    जै जै जै धुनि होत अकासा ।

    सुमिरत होत दुसह दुःख नासा ।।

    चरण शरण कर जोरि मनावौं ।

    यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।।

    उठु उठु चलु तोहि राम-दोहाई ।

    पायँ परौं, कर जोरि मनाई ।।

    ओम चं चं चं चं चपल चलंता ।

    ओम हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता ।।

    ओम हं हं हाँक देत कपि चंचल ।

    ओम सं सं सहमि पराने खल-दल ।।

    अपने जन को तुरत उबारौ ।

    सुमिरत होय आनंद हमारौ ।।

    यह बजरंग बाण जेहि मारै।

    ताहि कहो फिर कोन उबारै ।।

    पाठ करै बजरंग बाण की ।

    हनुमत रक्षा करैं प्रान की ।।

    यह बजरंग बाण जो जापैं ।

    ताते भूत-प्रेत सब कापैं ।।

    धूप देय अरु जपै हमेशा ।

    ताके तन नहिं रहै कलेसा ।।

    दोहा 

    प्रेम प्रतीतिहि कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान ।

    तेहि के कारज सकल सुभ, सिद्ध करैं हनुमान ।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।