Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Shani Dosh: शनि प्रकोप से बचने के लिए क्यों करते हैं हनुमान जी की पूजा, पढ़ें यह कथा

    By Kartikey TiwariEdited By:
    Updated: Sat, 19 Sep 2020 05:34 AM (IST)

    Shani Dosh ज्योतिषाचार्य शनि देव के प्रकोप से बचने के लिए हनुमान जी की पूजा करने की सलाह क्यों देते हैं? इसके पृष्ठभूमि में एक रोचक कथा है। आइए पढ़ते हैं रोचक कथा।

    Shani Dosh: शनि प्रकोप से बचने के लिए क्यों करते हैं हनुमान जी की पूजा, पढ़ें यह कथा

    Shani Dosh: जिन लोगों की कुंडली में शनि दोष होता है या उन पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या होती है। उन लोगों को शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने तथा शनि देव को सरसों का तेल अर्पित करने को कहा जाता है। ज्योतिषाचार्य शनि देव के प्रकोप से बचने के लिए हनुमान जी की पूजा करने की सलाह क्यों देते हैं? इसके पृष्ठभूमि में एक रोचक कथा है। आइए पढ़ते हैं रोचक कथा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    एक बार की बात है। पवनपुत्र हनुमान जी अपने आराध्य श्री राम जी के किसी कार्य में व्यस्त थे। तभी वहां से शनि देव गुजर रहे थे। उनके मन में हनुमान जी को परेशान करने की शरारत आई। वे बजरंगबली के पास पहुंचे और उनको परेशान करने लगे। तब हनुमान जी ने उनको चेताया। बोले कि वे अपने प्रभु राम का काम कर रहे हैं, इसमें वे विघ्न न डालें। लेकिन हनुमान जी की चेतावनी का उन पर असर नहीं हुआ। वे फिर परेशान करने लगे।

    तब हनुमान जी ने शनि देव को अपनी पूंछ में जकड़ लिया और राम काज में व्यस्त हो गए। शनि देव ने अपना पूरा प्रयास किया, ताकि वे बजरंगबली की जकड़ से मुक्त हो जाएं, लेकिन ये कहां संभव था। हनुमान जी काम कर रहे थे और रह-रहकर उनकी पूंछ इधर-उधर डोल रही थी। पूंछ के हिलने से शनि देव को कई जगह पर चोटें आ गईं। वो पीड़ा से कराह उठे।

    उधर जब हनुमान जी राम काज को पूर्ण कर लिए, तब उनको शनि देव का स्मरण हुआ। उन्होंने शनि देव को अपनी पूंछ से मुक्त किया। शनि देव ने हनुमान जी से अपनी शरारत के लिए क्षमा मांगी और कहा ​कि वे कभी भी राम काज या हनुमान जी के कार्य में व्यस्त लोगों को परेशान नहीं करेंगे।

    उन्होंने हनुमान जी से अपने चोटों पर लगाने के लिए सरसों का तेल मांगा। सरसों का तेल लगाने के बाद उनकी पीड़ी कम हुई। तब उन्होंने कहा कि जो कोई उनको सरसों का तेल चढ़ाएगा, तो उसे उसके कष्टों से मुक्ति मिलेगी। इसके बाद से ही शनिवार के दिन शनि देव को सरसों का तेल अर्पित करने की परंपरा शुरू हो गई। साथ ही शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा की जाने लगी, ताकि शनि देव के प्रकोप का सामना न करना पड़े और जिस प्रकार हनुमान जी ने शनि देव की पीड़ा कम की थी, उसी प्रकार वे अपने भक्तों की भी पीड़ा दूर करेंगे।