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    Sawan 2023: भगवान शिव की पूजा में निषेध है तुलसी, जानिए क्या है इसके पीछे छिपा कारण?

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo Mishra
    Updated: Thu, 06 Jul 2023 01:57 PM (IST)

    Sawan 2023 सावन के पवित्र महीने का शुभारंभ हो चुका है। इस पवित्र महीने में भगवान शिव की उपासना का विशेष महत्व है। लेकिन इस पवित्र मास में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए। बता दें कि सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव को तुलसी के पत्ते को नहीं चढ़ाया जाता है। आइए जानते हैं भगवान शिव की पूजा में तुलसी क्यों नहीं चढ़ाई जाती है।

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    Sawan 2023: भगवान शिव की उपासना में क्यों नहीं किया जाता है तुलसी का इस्तेमाल?

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Sawan 2023: सावन का पवित्र महीना, भगवान शिव की उपासना के लिए समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सावन के पवित्र महीने में भगवान शिव की उपासना करने से भोलेनाथ की कृपा सदैव अपने भक्तों पर बनी रहती है। बता दें कि इस वर्ष सावन का पवित्र महीना एक नहीं बल्कि दो महीने का होगा। ऐसे में इस दौरान व्यक्ति को विशेष बातों ध्यान रखना चाहिए। शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान शिव की उपासना में तुलसी पत्र का प्रयोग भूलकर भी नहीं करना चाहिए। आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे छिपा कारण और महत्व-

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    क्यों भगवान शिव की उपासना में नहीं की जाती है तुलसी का प्रयोग

    किंवदंतियों के अनुसार, पूर्व जन्म में तुलसी का नाम वृंदा था। वह जालंधर नामक दैत्य की पत्नी थी। जालंधर को भगवान शिव का अंश भी माना जाता है, लेकिन पूर्वजन्म में बुरे कर्मों के कारण उसका जन्म राक्षस कुल में हुआ था। जालंधर से सभी परेशान हो गए थे, लेकिन कोई भी उसकी हत्या कर पाने में सक्षम नहीं था। ऐसा इसलिए क्योंकि वृंदा के पतिव्रता धर्म ने जालंधर को मृत्यु से बचाकर रखा था।

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    इसलिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि वह जालंधर के कुकर्मों से सबकी रक्षा करें। तब भगवान विष्णु ने सृष्टि के कल्याण के लिए जालंधर का वेश धारण किया और वृंदा की पतिव्रता धर्म को तोड़ दिया। जब वृंदा को इस छल का ज्ञान हुआ तब उन्होंने भगवान विष्णु को पत्थर में बदल जाने का श्राप दिया, जिन्हें हम आज शालिग्राम भगवान के रूप में पूजते हैं। तब भगवान शिव ने जालंधर का वध किया। जालंधर के वध के बाद वृंदा तुलसी के पौधे में परिवर्तित हो गई।

    भगवान विष्णु वृंदा की पतिव्रता से इतना प्रसन्न हुए कि उन्होंने यह आशीर्वाद दिया कि उनकी उपासना में तुलसी का उपयोग निश्चित रूप से किया जाएगा। लेकिन भगवान शिव की उपासना में तुलसी का उपयोग इसलिए नहीं किया जाता है क्योंकि उन्होंने वृंदा के पति का वध किया था और सृष्टि को उसके कुकर्मों से बचाया था।

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    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।