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    Shiv Dhyan Stotra: सावन महीने में रोजाना करें 'शिव ध्यान स्तोत्र' का पाठ, सभी संकटों से मिलेगी निजात

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Thu, 27 Jul 2023 08:00 AM (IST)

    Shiv Dhyan Stotra भगवान शिव महज जलाभिषेक से प्रसन्न हो जाते हैं। उनकी कृपा से भक्तों का कल्याण होता है। अगर आप भी भगवान शिव की कृपा पाना चाहते हैं तो सावन महीने में प्रतिदिन भगवान शिव का जल या गंगाजल से अभिषेक करें। इस समय शिव ध्यान स्तोत्र का पाठ अवश्य करें। इस स्तोत्र के पाठ से साधक के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।

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    Shiv Dhyan Stotra: सावन महीने में रोजाना करें 'शिव ध्यान स्तोत्र' का पाठ, सभी संकटों से मिलेगी निजात

    नई दिल्ली, आध्यात्म डेस्क | Shiv Dhyan Stotra: भगवान शिव को सावन का महीना अति प्रिय है। इस महीने में भगवान शिव और माता पार्वती का आगमन पृथ्वी पर होता है। इस शुभ अवसर पर देवी-देवता, भूत, प्रेत, गन्धर्व, अप्सरा, स्वर्ग नरेश इंद्र, वायु देव, वरुण देव, ब्रह्मा जी, मां लक्ष्मी और शारदे संग सभी ऋषि-मुनि भगवान शिव और माता पार्वती का अभिवादन करते हैं। प्रकृति जल बरसाकर भगवान शिव का अभिषेक करती है। महादेव के भक्त सावन के महीने में शिवमय हो जाते हैं। धूमधाम से बाबा की पूजा-उपासना करते हैं। कुल मिलाकर कहें तो तीनों लोकों में भगवान शिव के जयकारे गूंजते हैं। भगवान शिव बेहद दयालु और कृपालु हैं। इसलिए उन्हें भोला भी कहा जाता है। भगवान शिव महज जलाभिषेक से प्रसन्न हो जाते हैं। उनकी कृपा से भक्तों का कल्याण होता है। अगर आप भी भगवान शिव की कृपा पाना चाहते हैं, तो सावन महीने में प्रतिदिन भगवान शिव का जल या गंगाजल से अभिषेक करें। इस समय 'शिव ध्यान स्तोत्र' का पाठ अवश्य करें। इस स्तोत्र के पाठ से साधक के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। आइए, 'शिव ध्यान स्तोत्र' का पाठ करें-

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    शिव ध्यान स्तोत्रम्

    स्फटिकप्रतिभटकान्त विरचितकलिमलशान्त ।

    शिव शंकर शिव शंकर जय कैलासपते ॥

    गंगाधरपिंगलजट हृतशरणागतसङ्कट ।

    शिव शंकर शिव शंकर जय कैलासपते ॥

    बालसुधाकरशेखर भाललसद्वैश्वानर ।

    शिव शंकर शिव शंकर जय कैलासपते ॥

    पद्मदलायतलोचन दृढभवबन्धनमोचन ।

    शिव शंकर शिव शंकर जय कैलासपते ॥

    मन्दमधुरहासवदन निर्जितदुर्लसितमदन ।

    शिव शंकर शिव शंकर जय कैलासपते ॥

    सनकादिकवन्द्यचरण दुस्तरभवसिन्धुतरण ।

    शिव शंकर शिव शंकर जय कैलासपते ॥

    लालितबालगजानन कलितमहापितृकानन ।

    शिव शंकर शिव शंकर जय कैलासपते ॥

    सच्चिद्घनसुखसार लीलापीतमहागर ।

    शिव शंकर शिव शंकर जय कैलासपते ॥

    गिरिजाश्लिष्टार्धतनो कल्पितगिरिराजधनो ।

    शिव शंकर शिव शंकर जय कैलासपते ॥

    शिवाष्टकम् स्तोत्र

    प्रभुं प्राणनाथं विभुं विश्वनाथं जगन्नाथनाथं सदानन्दभाजम् ।

    भवद्भव्यभूतेश्वरं भूतनाथं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ॥

    गले रुण्डमालं तनौ सर्पजालं महाकालकालं गणेशाधिपालम् ।

    जटाजूटगङ्गोत्तरङ्गैर्विशालं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ॥

    मुदामाकरं मण्डनं मण्डयन्तं महामण्डलं भस्मभूषाधरं तम् ।

    अनादिह्यपारं महामोहहारं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ॥

    वटाधोनिवासं महाट्टाट्टहासं महापापनाशं सदासुप्रकाशम् ।

    गिरीशं गणेशं महेशं सुरेशं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ॥

    गिरिन्द्रात्मजासंग्रहीतार्धदेहं गिरौ संस्थितं सर्वदा सन्नगेहम् ।

    परब्रह्मब्रह्मादिभिर्वन्ध्यमानं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ॥

    कपालं त्रिशूलं कराभ्यां दधानं पदाम्भोजनम्राय कामं ददानम् ।

    बलीवर्दयानं सुराणां प्रधानं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ॥

    शरच्चन्द्रगात्रं गुणानन्द पात्रं त्रिनेत्रं पवित्रं धनेशस्य मित्रम् ।

    अपर्णाकलत्रं चरित्रं विचित्रं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ॥

    हरं सर्पहारं चिता भूविहारं भवं वेदसारं सदा निर्विकारम् ।

    श्मशाने वसन्तं मनोजं दहन्तं शिवं शङ्करं शम्भुमीशानमीडे ॥

    स्तवं यः प्रभाते नरः शूलपाणे पठेत् सर्वदा भर्गभावानुरक्तः ।

    स पुत्रं धनं धान्यमित्रं कलत्रं विचित्रं समासाद्य मोक्षं प्रयाति ॥

    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'