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    Bhairav Chalisa: भगवान शिव की पूजा करते समय करें इस चालीसा का पाठ, चमक उठेगा सोया हुआ भाग्य

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 27 May 2024 07:00 AM (IST)

    भगवान शिव की पूजा करने से व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही सुखसमृद्धि यश कीर्ति और वैभव में वृद्धि होती है। शिव पुराण में सोमवारी व्रत की महिमा का गुणगान किया गया है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से साधक को मनचाहा वर मिलता है। स्वयं मां पार्वती ने भी भगवान शिव को प्रसन्न करने और वर रूप में पाने हेतु सोमवारी व्रत किया था।

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    Bhairav Chalisa: भगवान शिव की पूजा करते समय करें इस चालीसा का पाठ

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Bhairav Chalisa: सोमवार के दिन देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही उनके निमित्त सोमवारी का व्रत भी रखा जाता है। भगवान शिव की पूजा करने से व्रती की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही सुख,समृद्धि , यश, कीर्ति और वैभव में वृद्धि होती है। शिव पुराण में सोमवारी व्रत की महिमा का गुणगान किया गया है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से साधक को मनचाहा वर मिलता है। स्वयं मां पार्वती ने भी भगवान शिव को प्रसन्न करने और वर रूप में पाने हेतु सोमवारी व्रत किया था। साधक स्नान-ध्यान कर भगवान शिव का जलाभिषक करते हैं। इसके बाद विधि-विधान से भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। अगर आप भी भगवान शिव की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो सोमवार के दिन विधिपूर्वक भगवान शिव की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इस चालीसा का पाठ अवश्य करें।

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    भगवान भैरव चालीसा

    दोहा

    श्री भैरव सङ्कट हरन,मंगल करन कृपालु।

    करहु दया जि दास पे,निशिदिन दीनदयालु॥

    ॥ चौपाई ॥

    जय डमरूधर नयन विशाला।

    श्याम वर्ण, वपु महा कराला॥

    जय त्रिशूलधर जय डमरूधर।

    काशी कोतवाल, संकटहर॥

    जय गिरिजासुत परमकृपाला।

    संकटहरण हरहु भ्रमजाला॥

    जयति बटुक भैरव भयहारी।

    जयति काल भैरव बलधारी॥

    अष्टरूप तुम्हरे सब गायें।

    सकल एक ते एक सिवाये॥

    शिवस्वरूप शिव के अनुगामी।

    गणाधीश तुम सबके स्वामी॥

    जटाजूट पर मुकुट सुहावै।

    भालचन्द्र अति शोभा पावै॥

    कटि करधनी घुँघरू बाजै।

    दर्शन करत सकल भय भाजै॥

    कर त्रिशूल डमरू अति सुन्दर।

    मोरपंख को चंवर मनोहर॥

    खप्पर खड्ग लिये बलवाना।

    रूप चतुर्भुज नाथ बखाना॥

    वाहन श्वान सदा सुखरासी।

    तुम अनन्त प्रभु तुम अविनाशी॥

    जय जय जय भैरव भय भंजन।

    जय कृपालु भक्तन मनरंजन॥

    नयन विशाल लाल अति भारी।

    रक्तवर्ण तुम अहहु पुरारी॥

    बं बं बं बोलत दिनराती।

    शिव कहँ भजहु असुर आराती॥

    एकरूप तुम शम्भु कहाये।

    दूजे भैरव रूप बनाये॥

    सेवक तुमहिं तुमहिं प्रभु स्वामी।

    सब जग के तुम अन्तर्यामी॥

    रक्तवर्ण वपु अहहि तुम्हारा।

    श्यामवर्ण कहुं होई प्रचारा॥

    श्वेतवर्ण पुनि कहा बखानी।

    तीनि वर्ण तुम्हरे गुणखानी॥

    तीनि नयन प्रभु परम सुहावहिं।

    सुरनर मुनि सब ध्यान लगावहिं॥

    व्याघ्र चर्मधर तुम जग स्वामी।

    प्रेतनाथ तुम पूर्ण अकामी॥

    चक्रनाथ नकुलेश प्रचण्डा।

    निमिष दिगम्बर कीरति चण्डा॥

    क्रोधवत्स भूतेश कालधर।

    चक्रतुण्ड दशबाहु व्यालधर॥

    अहहिं कोटि प्रभु नाम तुम्हारे।

    जयत सदा मेटत दुःख भारे॥

    चौंसठ योगिनी नाचहिं संगा।

    क्रोधवान तुम अति रणरंगा॥

    भूतनाथ तुम परम पुनीता।

    तुम भविष्य तुम अहहू अतीता॥

    वर्तमान तुम्हरो शुचि रूपा।

    कालजयी तुम परम अनूपा॥

    ऐलादी को संकट टार्यो।

    साद भक्त को कारज सारयो॥

    कालीपुत्र कहावहु नाथा।

    तव चरणन नावहुं नित माथा॥

    श्री क्रोधेश कृपा विस्तारहु।

    दीन जानि मोहि पार उतारहु॥

    भवसागर बूढत दिनराती।

    होहु कृपालु दुष्ट आराती॥

    सेवक जानि कृपा प्रभु कीजै।

    मोहिं भगति अपनी अब दीजै॥

    करहुँ सदा भैरव की सेवा।

    तुम समान दूजो को देवा॥

    अश्वनाथ तुम परम मनोहर।

    दुष्टन कहँ प्रभु अहहु भयंकर॥

    तम्हरो दास जहाँ जो होई।

    ताकहँ संकट परै न कोई॥

    हरहु नाथ तुम जन की पीरा।

    तुम समान प्रभु को बलवीरा॥

    सब अपराध क्षमा करि दीजै।

    दीन जानि आपुन मोहिं कीजै॥

    जो यह पाठ करे चालीसा।

    तापै कृपा करहु जगदीशा॥

    दोहा

    जय भैरव जय भूतपति,जय जय जय सुखकंद।

    करहु कृपा नित दास पे,देहुं सदा आनन्द॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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