Chaitra Navratri 2023: काले जादू से निजात पाने के लिए चैत्र नवरात्रि में इस तरह करें दुर्गा सप्तशती का पाठ
Chaitra Navratri 2023 सनातन धर्म गुरुओं की मानें तो 400 से लेकर 600 ईसा पूर्व के दौरान दुर्गा सप्तशती की उत्पत्ति हुई है। इसकी उत्पत्ति मार्कण्डेय पुराण से हुई है। इसमें कुल 13 अध्याय हैं। इनमें सबसे पहले कवच अर्गला और कीलक का पाठ करना चाहिए।
नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क | Chaitra Navratri 2023: देशभर में चैत्र नवरात्रि का त्योहार उत्साह और उमंग के साथ मनाया जा रहा है। यह हर साल चैत्र माह में शुक्ल पक्ष से लेकर नवमी तक मनाई जाती है। इस साल 22 मार्च से लेकर 30 मार्च तक चैत्र नवरात्रि है। इस दौरान माता रानी की भक्ति सच्ची श्रद्धा से करनी चाहिए। धार्मिक मान्यता है कि नवरात्रि के दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से साधक को अमोघ फल की प्राप्त होती है। साथ ही दुख और संकट दूर हो जाते हैं। आइए, दुर्गा सप्तशती पाठ के लाभ और उत्पत्ति के बारे में जानते हैं-
दुर्गा सप्तशती की उत्पत्ति ?
सनातन धर्म गुरुओं की मानें तो 400 से लेकर 600 ईसा पूर्व के दौरान दुर्गा सप्तशती की उत्पत्ति हुई है। इसकी उत्पत्ति मार्कण्डेय पुराण से हुई है। इसमें कुल 13 अध्याय हैं। इनमें सबसे पहले कवच, अर्गला और कीलक का पाठ करना चाहिए। इसके पश्चात अन्य अध्याय का पाठ करना चाहिए।
दुर्गा सप्तशती पाठ के लाभ
-माता रानी के निमित्त पूजा उपवास करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही रोजाना दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से जातक के जीवन में व्याप्त सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। इसके अलावा, जातक को काले जादू से भी मुक्ति मिलती है। आसान शब्दों में कहें तो काले जादू का प्रभाव तत्काल से निष्क्रिय हो जाता है। इसके लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें।
-अगर आप अपने कारोबार में तरक्की पाना चाहते हैं, तो चैत्र नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें। सनातन धर्म गुरुओं की मानें तो दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है और धन की प्राप्ति होती है। इसके लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें।
-दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से शत्रुओं पर विजय श्री प्राप्त होती है। अगर आपको शत्रु का भय सता रहा है, तो दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। इस पाठ को करने से माता रानी की कृपा भी बरसती है।
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