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    Shri Surya Stuti: रविवार के दिन करें इस स्तुति का पाठ, जीवन में आएगी सुख और समृद्धि

    By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik Sharma
    Updated: Sat, 27 Jan 2024 05:01 PM (IST)

    Shri Surya Stuti रविवार के दिन भगवान सूर्य देव की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में खुशियों का आगमन होता है और सुख समृद्धि मिलती है। सूर्यदेव की पूजा के दौरान साधक को मंत्रों और सूर्यदेव की स्तुति का पाठ करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं।

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    Shri Surya Stuti: रविवार के दिन करें इस स्तुति का पाठ, जीवन में आएगी सुख और समृद्धि

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shri Surya Stuti: सनातन धर्म में रविवार के दिन भगवान सूर्य देव की पूजा-अर्चना करने का विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में खुशियों का आगमन होता है और सुख, समृद्धि मिलती है। सूर्यदेव की पूजा के दौरान साधक को मंत्रों और सूर्यदेव की स्तुति का पाठ करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान सूर्यदेव प्रसन्न होते हैं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इस स्तुति का पाठ जितनी सुबह करेंगे, इसके परिणाम उतने ही अच्छे देखने को मिलेंगे। श्री सूर्य स्तुति का इस प्रकार है-

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    ।। श्री सूर्य स्तुति ।।

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन ।।

    त्रिभुवन-तिमिर-निकन्दन, भक्त-हृदय-चन्दन॥

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

    सप्त-अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।

    दु:खहारी, सुखकारी, मानस-मल-हारी॥

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    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

    सुर-मुनि-भूसुर-वन्दित, विमल विभवशाली।

    अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

    सकल-सुकर्म-प्रसविता, सविता शुभकारी।

    विश्व-विलोचन मोचन, भव-बन्धन भारी॥

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

    कमल-समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।

    सेवत साहज हरत अति मनसिज-संतापा॥

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

    नेत्र-व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा-हारी।

    वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

    सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।

    हर अज्ञान-मोह सब, तत्त्वज्ञान दीजै॥

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

    भगवान सूर्य के मंत्र

    1. ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य:

    2. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।

    3. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।

    4. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ।

    5. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।

    6. ॐ सूर्याय नम: ।

    7. ॐ घृणि सूर्याय नम: ।

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    डिसक्लेमर- 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/जयोतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देंश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी'।