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    Raviwar ke upay: रविवार की पूजा में करें इस स्तोत्र का पाठ, जल्द मिलेगा मनचाहा करियर

    रविवार के दिन सूर्य देव की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही सूर्य देव को अर्घ्य देना शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्य देव की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने से रुके हुए काम जल्द पूरे होते हैं। साथ ही सूर्य देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन सूर्य अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र (Surya Stotram) का पाठ जरूर करना चाहिए।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sun, 19 Jan 2025 09:03 AM (IST)
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    Surya Dev: कैसे करें सूर्य देव को प्रसन्न

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा-अर्चना करना अधिक शुभ माना जाता है, क्योंकि सूर्य देव को रविवार का दिन समर्पित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सूर्य देव की उपासना करने से सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है। साथ ही मनचाहा करियर में सफलता मिलती है।

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    अगर आप सूर्य देव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो रविवार को सूर्य अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र (Surya Stotram Lyrics) का पाठ करें। इससे जीवन में सभी तरह सुख मिलते हैं।

    ।।सूर्य अष्टोत्तर शतनामावली स्तोत्र।।

    सूर्योsर्यमा भगस्त्वष्टा पूषार्क: सविता रवि: ।

    गभस्तिमानज: कालो मृत्युर्धाता प्रभाकर: ।।

    पृथिव्यापश्च तेजश्च खं वयुश्च परायणम ।

    सोमो बृहस्पति: शुक्रो बुधोsड़्गारक एव च ।।

    इन्द्रो विश्वस्वान दीप्तांशु: शुचि: शौरि: शनैश्चर: ।

    ब्रह्मा विष्णुश्च रुद्रश्च स्कन्दो वरुणो यम: ।।

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    वैद्युतो जाठरश्चाग्निरैन्धनस्तेजसां पति: ।

    धर्मध्वजो वेदकर्ता वेदाड़्गो वेदवाहन: ।।

    कृतं तत्र द्वापरश्च कलि: सर्वमलाश्रय: ।

    कला काष्ठा मुहूर्ताश्च क्षपा यामस्तया क्षण: ।।

    संवत्सरकरोsश्वत्थ: कालचक्रो विभावसु: ।

    पुरुष: शाश्वतो योगी व्यक्ताव्यक्त: सनातन: ।।

    कालाध्यक्ष: प्रजाध्यक्षो विश्वकर्मा तमोनुद: ।

    वरुण सागरोsशुश्च जीमूतो जीवनोsरिहा ।।

    भूताश्रयो भूतपति: सर्वलोकनमस्कृत: ।

    स्रष्टा संवर्तको वह्रि सर्वलोकनमस्कृत: ।।

    अनन्त कपिलो भानु: कामद: सर्वतो मुख: ।

    जयो विशालो वरद: सर्वधातुनिषेचिता ।।

    मन: सुपर्णो भूतादि: शीघ्रग: प्राणधारक: ।

    धन्वन्तरिर्धूमकेतुरादिदेवोsअदिते: सुत: ।।

    द्वादशात्मारविन्दाक्ष: पिता माता पितामह: ।

    स्वर्गद्वारं प्रजाद्वारं मोक्षद्वारं त्रिविष्टपम ।।

    देहकर्ता प्रशान्तात्मा विश्वात्मा विश्वतोमुख: ।

    चराचरात्मा सूक्ष्मात्मा मैत्रेय करुणान्वित: ।।

    एतद वै कीर्तनीयस्य सूर्यस्यामिततेजस: ।

    नामाष्टकशतकं चेदं प्रोक्तमेतत स्वयंभुवा ।।

    ।।श्री सूर्य स्तुति।।

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन ।।

    त्रिभुवन-तिमिर-निकन्दन, भक्त-हृदय-चन्दन॥

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

    सप्त-अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।

    दु:खहारी, सुखकारी, मानस-मल-हारी॥

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

    सुर-मुनि-भूसुर-वन्दित, विमल विभवशाली।

    अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

    सकल-सुकर्म-प्रसविता, सविता शुभकारी।

    विश्व-विलोचन मोचन, भव-बन्धन भारी॥

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

    कमल-समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।

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    सेवत साहज हरत अति मनसिज-संतापा॥

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

    नेत्र-व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा-हारी।

    वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥

    जय कश्यप-नन्दन, ॐ जय अदिति नन्दन।।

    सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।

    हर अज्ञान-मोह सब, तत्वज्ञान दीजै॥

    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।