Radha Ashtami 2024: राधा अष्टमी की पूजा में करें किशोरी जी की ये आरती, खुशियों से भरा जाएगा जीवन
धार्मिक मान्यता है कि राधा अष्टमी के दिन सच्चे मन से राधा रानी के संग भगवान श्रीकृष्ण की विशेष उपासना करने से प्रभु साधक की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। इस व्रत को करने से आर्थिक विपन्नता दूर होती है और महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन राधा रानी की आरती (Radha Rani Ki Aarti Lyrics) करना बिल्कुल भी न भूलें।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। राधा अष्टमी का पर्व हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। देशभर में आज यानी 11 सितंबर (Radha Ashtami 2024) को बहुत ही उत्साह के साथ राधा अष्टमी मनाई जा रही है। इस खास अवसर पर बरसाना समेत देशभर के राधा रानी के मंदिरो को सुंदर तरीके से सजाया जाता है। इसके अलावा राधा रानी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसे में आप इस आरती (Aarti shri vrishbhanu lali ki) के द्वारा किशोरी जी को प्रसन्न कर सकते हैं।
आरती श्री राधा रानी जी की (Radha Rani Ji Ki Aarti)
आरती राधाजी की कीजै।
कृष्ण संग जो कर निवासा, कृष्ण करे जिन पर विश्वासा।
आरती वृषभानु लली की कीजै। आरती
कृष्णचन्द्र की करी सहाई, मुंह में आनि रूप दिखाई।
उस शक्ति की आरती कीजै। आरती
नंद पुत्र से प्रीति बढ़ाई, यमुना तट पर रास रचाई।
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आरती रास रसाई की कीजै। आरती
प्रेम राह जिनसे बतलाई, निर्गुण भक्ति नहीं अपनाई।
आरती राधाजी की कीजै। आरती
दुनिया की जो रक्षा करती, भक्तजनों के दुख सब हरती।
आरती दु:ख हरणीजी की कीजै। आरती
दुनिया की जो जननी कहावे, निज पुत्रों की धीर बंधावे।
आरती जगत माता की कीजै। आरती
निज पुत्रों के काज संवारे, रनवीरा के कष्ट निवारे।
आरती विश्वमाता की कीजै। आरती राधाजी की
आरती श्री वृषभानु लली की
आरती श्री वृषभानु लली की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की...आरती श्री वृषभानु लली की।
त्रिविध तापयुत संसृति नाशिनि, विमल विवेकविराग विकासिनि ।
पावन प्रभु पद प्रीति प्रकाशिनि, सुन्दरतम छवि सुन्दरता की ॥
॥ आरती श्री वृषभानु लली की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ॥
मुनि मन मोहन मोहन मोहनि, मधुर मनोहर मूरति सोहनि ।
अविरलप्रेम अमिय रस दोहनि, प्रिय अति सदा सखी ललिता की ॥
॥ आरती श्री वृषभानु लली की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ॥
॥ आरती श्री वृषभानु लली की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ॥
कृष्णात्मिका, कृष्ण सहचारिणि, चिन्मयवृन्दा विपिन विहारिणि ।
जगजननि जग दुखनिवारिणि, आदि अनादिशक्ति विभुता की ॥
॥ आरती श्री वृषभानु लली की, मंजुल मूर्ति मोहन ममता की ॥
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