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    Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत पर भक्तिभाव से करें इस स्तुति का पाठ, भोलेनाथ बरसाएंगे कृपा

    Updated: Mon, 24 Feb 2025 06:06 PM (IST)

    हर माह में त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2025) किया जाता है जिसे पूर्ण रूप से भगवान शिव की आराधना के लिए समर्पित माना जाता है। इस दिन पर श्रद्धाभाव से शिव जी की पूजा-अर्चना करने से भक्तों की सारी मुराद पूरी होती है। ऐसे में आपको प्रदोष व्रत की पूजा के दौरान इस स्तुति का पाठ जरूर करना चाहिए।

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    Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत पर इस तरह करें महादेव को प्रसन्न।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। फरवरी का आखिरी प्रदोष व्रत मंगलवार, 25 फरवरी को किया जा रहा है। मंगलवार के दिन पड़ने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat 2025) भी कहा जाएगा। इस दिन पर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा-अर्चना के दौरान यदि आप नटराज स्तुति का पाठ करते हैं, तो इससे आपको भोलेनाथ की असीम कृपा मिलती है, जिससे जीवन सुखमय बना रहता है। आइए पढ़ते हैं नटराज स्तुति।

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    प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त

    फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 25 फरवरी को दोपहर 12 बजकर 47 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि के समापन 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर होगा। इसलिए प्रदोष व्रत मंगलवार, 25 फरवरी 2025 को किया जाएगा। इस दिन भगवान शिव की पूजा का मुहूर्त ये रहने वाला है -

    भगवान शिव की पूजा का मुहूर्त - शाम 06 बजकर 18 मिनट से रात 08 बजकर 49 मिनट तक

    प्रदोष व्रत पूजा विधि

    • सुबह उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत का संकल्प लें।
    • शिवलिंग का पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और शक्कर) से अभिषेक करें।
    • इसके बाद साफ जल में गंगाजल मिलाकर अभिषेक करें।
    • महादेव को चंदन और भस्म आदि से तिलक लगाएं।
    • शिव जी को बेलपत्र, फल, फूल, धूप-दीप और नैवेद्य चढ़ाएं।
    • भोग में महादेव को खीर, दही या फिर सूजी के हलवा अर्पित करें।
    • 'ऊँ नमः शिवाय' मंत्र का रुद्राक्ष की माला से जप करें। 
    • घी का दीपक जलाकर शिव जी की आरती करें।

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

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    ।।संपूर्ण नटराज स्तुति पाठ।।

    सत सृष्टि तांडव रचयिता

    नटराज राज नमो नमः…

    हेआद्य गुरु शंकर पिता

    नटराज राज नमो नमः…

    गंभीर नाद मृदंगना धबके उरे ब्रह्माडना

    नित होत नाद प्रचंडना

    नटराज राज नमो नमः…

    शिर ज्ञान गंगा चंद्रमा चिद्ब्रह्म ज्योति ललाट मां

    विषनाग माला कंठ मां

    नटराज राज नमो नमः…

    तवशक्ति वामांगे स्थिता हे चंद्रिका अपराजिता

    चहु वेद गाए संहिता

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।