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    Parshuram Jayanti 2025: परशुराम जी की पूजा में जरूर करें ये आरती और स्तुति, मिलेगा आशीर्वाद

    Updated: Tue, 29 Apr 2025 08:55 AM (IST)

    परशुराम जी भगवान विष्णु के छठवें अवतार हैं। हर साल परशुराम जयंती को बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन पर परशुराम जी की पूजा प्रदोष काल में करने का अधिक महत्व माना गया है। परशुराम जी का अवतार उग्र माना गया है ऐसे में भगवान परशुराम की पूजा से साधक को ऊर्जा की प्राप्ति होती है।

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    Parshuram Jayanti 2025 परशुराम जयंती पर इस तरह करें पूजा (Picture Credit: Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। परशुराम, 8 चिरनजीवियों में से भी एक हैं, जिनका वर्णन रामायण काल से लेकर महाभारत काल में भी मिलता है। धार्मिक मान्यताएं के अनुसार, परशुराम जी (Parshuram Jayanti 2025) का अवतरण वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी अक्षय तृतीया के दिन हुआ था। आप इस दिन पर पूजा के दौरान परशुराम जी आरती व स्तुति का पाठ कर लाभ प्राप्त कर सकते हैं। 

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    परशुराम जी की आरती (Parshuram ji ki Aarti)

    शौर्य तेज बल-बुद्धि धाम की॥

    रेणुकासुत जमदग्नि के नंदन।

    कौशलेश पूजित भृगु चंदन॥

    अज अनंत प्रभु पूर्णकाम की।

    आरती कीजे श्री परशुराम की॥

    नारायण अवतार सुहावन।

    प्रगट भए महि भार उतारन॥

    क्रोध कुंज भव भय विराम की।

    आरती कीजे श्री परशुराम की॥

    परशु चाप शर कर में राजे।

    ब्रह्मसूत्र गल माल विराजे॥

    मंगलमय शुभ छबि ललाम की।

    आरती कीजे श्री परशुराम की॥

    जननी प्रिय पितृ आज्ञाकारी।

    दुष्ट दलन संतन हितकारी॥

    ज्ञान पुंज जग कृत प्रणाम की।

    आरती कीजे श्री परशुराम की॥

    परशुराम वल्लभ यश गावे।

    श्रद्घायुत प्रभु पद शिर नावे॥

    छहहिं चरण रति अष्ट याम की।

    आरती कीजे श्री परशुराम की॥

    ऊॅं जय परशुधारी, स्वामी जय परशुधारी।

    ऊॅं जय परशुधारी, स्वामी जय परशुधारी।

    सुर नर मुनिजन सेवत, श्रीपति अवतारी।। ऊॅं जय।।

    जमदग्नी सुत नरसिंह, मां रेणुका जाया।

    मार्तण्ड भृगु वंशज, त्रिभुवन यश छाया।। ऊॅं जय।।

    कांधे सूत्र जनेऊ, गल रुद्राक्ष माला।

    चरण खड़ाऊँ शोभे, तिलक त्रिपुण्ड भाला।। ऊॅं जय।।

    ताम्र श्याम घन केशा, शीश जटा बांधी।

    सुजन हेतु ऋतु मधुमय, दुष्ट दलन आंधी।। ऊॅं जय।।

    मुख रवि तेज विराजत, रक्त वर्ण नैना।

    दीन-हीन गो विप्रन, रक्षक दिन रैना।। ऊॅं जय।।

    कर शोभित बर परशु, निगमागम ज्ञाता।

    कंध चार-शर वैष्णव, ब्राह्मण कुल त्राता।। ऊॅं जय।।

    माता पिता तुम स्वामी, मीत सखा मेरे।

    मेरी बिरत संभारो, द्वार पड़ा मैं तेरे।। ऊॅं जय।।

    अजर-अमर श्री परशुराम की, आरती जो गावे।

    पूर्णेन्दु शिव साखि, सुख सम्पति पावे।। ऊॅं जय।।

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    परशुराम जयंती का दिन मुख्य रूप से भगवान परशुराम के जन्म और उनके योगदान को स्मरण करने के साथ-साथ उनके धर्म की रक्षा और अधर्म पर विजय के रूप में भी मनाया जाता है।

    परशुराम जी की स्तुति

    कुलाचला यस्य महीं द्विजेभ्यः प्रयच्छतः सोमदृषत्त्वमापुः।

    बभूवुरुत्सर्गजलं समुद्राः स रैणुकेयः श्रियमातनीतु॥

    नाशिष्यः किमभूद्भवः किपभवन्नापुत्रिणी रेणुका

    नाभूद्विश्वमकार्मुकं किमिति यः प्रीणातु रामत्रपा।

    विप्राणां प्रतिमंदिरं मणिगणोन्मिश्राणि दण्डाहतेर्नांब्धीनो

    स मया यमोऽर्पि महिषेणाम्भांसि नोद्वाहितः॥

    पायाद्वो यमदग्निवंश तिलको वीरव्रतालंकृतो

    रामो नाम मुनीश्वरो नृपवधे भास्वत्कुठारायुधः।

    येनाशेषहताहिताङरुधिरैः सन्तर्पिताः पूर्वजा

    भक्त्या चाश्वमखे समुद्रवसना भूर्हन्तकारीकृता॥

    द्वारे कल्पतरुं गृहे सुरगवीं चिन्तामणीनंगदे पीयूषं

    सरसीषु विप्रवदने विद्याश्चस्रो दश॥

    एव कर्तुमयं तपस्यति भृगोर्वंशावतंसो मुनिः

    पायाद्वोऽखिलराजकक्षयकरो भूदेवभूषामणिः॥

    ॥ इति परशुराम स्तुति ॥

    (Picture Credit: Freepik)

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।