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    Parashuram Dwadashi 2024: इस तरह करें भगवान परशुराम को प्रसन्न, संतान की हो सकती है प्राप्ति

    Updated: Sat, 18 May 2024 03:38 PM (IST)

    सनातन धर्म में भगवान परशुराम को जगत के पालनहार भगवान विष्णु का षष्ठ अवतार माना जाता है। हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को परशुराम द्वादशी मनाई जाती है। इस बार परशुराम द्वादशी 19 मई को है। इस दिन भगवान परशुराम और श्री हरि की पूजा और व्रत किया जाता है। इससे जातक को शुभ फल की प्राप्ति होती है।

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    Parashuram Dwadashi 2024: इस तरह करें भगवान परशुराम को करें प्रसन्न, संतान की हो सकती है प्राप्ति

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली।Parshuram Dwadashi 2024: हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को परशुराम द्वादशी मनाई जाती है। इस बार परशुराम द्वादशी 19 मई को है। भगवान परशुराम को जगत के पालनहार भगवान विष्णु का षष्ठ अवतार माना जाता है।  इस दिन भगवान परशुराम और श्री हरि की पूजा और व्रत किया जाता है। मान्यता के अनुसार,परशुराम द्वादशी का व्रत करने से संतान की प्राप्ति हो सकती है। इस दिन पूजा के दौरान परशुराम स्तुति का पाठ अवश्य करना चाहिए। इससे जातक को जीवन में शुभ फल की प्राप्ति होती और जीवन सुखमय होता है। आइए पढ़ते हैं परशुराम स्तुति।

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    परशुराम स्तुति (Parshuram Stuti Lyrics)

    कुलाचला यस्य महीं द्विजेभ्यः प्रयच्छतः सोमदृषत्त्वमापुः।

    बभूवुरुत्सर्गजलं समुद्राः स रैणुकेयः श्रियमातनीतु॥

    नाशिष्यः किमभूद्भवः किपभवन्नापुत्रिणी रेणुका

    नाभूद्विश्वमकार्मुकं किमिति यः प्रीणातु रामत्रपा।

    विप्राणां प्रतिमंदिरं मणिगणोन्मिश्राणि दण्डाहतेर्नांब्धीनो

    स मया यमोऽर्पि महिषेणाम्भांसि नोद्वाहितः॥

    पायाद्वो यमदग्निवंश तिलको वीरव्रतालंकृतो

    रामो नाम मुनीश्वरो नृपवधे भास्वत्कुठारायुधः।

    येनाशेषहताहिताङरुधिरैः सन्तर्पिताः पूर्वजा

    भक्त्या चाश्वमखे समुद्रवसना भूर्हन्तकारीकृता॥

    द्वारे कल्पतरुं गृहे सुरगवीं चिन्तामणीनंगदे पीयूषं

    सरसीषु विप्रवदने विद्याश्चस्रो दश॥

    एव कर्तुमयं तपस्यति भृगोर्वंशावतंसो मुनिः

    पायाद्वोऽखिलराजकक्षयकरो भूदेवभूषामणिः॥

    ॥ इति परशुराम स्तुति ॥

    इन मंत्रों का करें जाप

    • ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्।।
    • 'ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नम:।।
    • 'ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।'

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।