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    Panch Dev Puja: इन 5 मंत्रों से करें पंचदेव की पूजा, घर आएगी धन संपदा

    By Shivani SinghEdited By:
    Updated: Fri, 23 Dec 2022 03:28 PM (IST)

    Panch Dev Puja शास्त्रों के अनुसार नियमित रूप से पंचदेव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। अगर आप विधिवत तरीके से इन पंच देव की पूजा नहीं कर पा रहे है तो इन मंत्रों का जाप करें।

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    Panch Dev Puja: इन 5 मंत्रों करें पंचदेव की पूजा, घर आएगी धन संपदा

    नई दिल्ली, Panchdev Puja Mantra: हिंदू धर्म में किसी भी मांगलिक और शुभ कामों के लिए पंच देव की पूजा का विधान है। इनके बिना पूजदा अधूरी है। पंचदेव में ब्रह्मा, विष्णु, महेश, गणेश और सूर्य को माना जाता है। लेकिन कुछ जगहों पर ब्रह्मा जी के बदले मां दुर्गा को जोड़ा जाता है। इनमें से सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। लेकिन शास्त्रों की बात करे, तो एक श्लोक के मुताबिक पंचदेवों में सबसे पहले सूर्यदेव की पूजा की जाती है और उसके बाद भगवान गणेश, मां दुर्गा, भगवान शंकर और विष्णु जी की जाती है।

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    रविर्विनायकश्चण्डी ईशो विष्णुस्तथैव च।

    अनुक्रमेण पूज्यन्ते व्युत्क्रमे तु महद् भयम्।।

    विद्वानों के मत के अनुसार भगवान गणेश को जल का तत्व माना जाता है और सूर्य को जगत की आत्मा माना जाता है। लेकिन हमारे जीवन में जल सबसे पहले आता है। इसलिए भगवान गणेश की पूजा सबसे पहले की जाती है।

    अगर आप इन पंच देवी की कृपा पाना चाहते हैं, तो रोजाना इन मंत्रों का जाप करें। माना जाता है कि इन मंत्रों का जाप करने से जीवन के हर दुख से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

    गणेश जी का ध्यान

    सबसे पहले गणेश जी का ध्यान करना चाहिए। गणेश जी की विधिवत पूजा के साथ इस मंत्र को बोले।

    खर्वं स्थूलतनुं गजेन्द्रवदनं लम्बोदरं सुन्दरं

    प्रस्यन्दन्मदगन्धलुब्धमधुपव्यालोलगण्डस्थलम्‌ ।

    दन्ताघातविदारितारिरुधिरैः सिन्दूरशोभाकरं

    वन्दे शैलसुतासुतं गणपतिं सिद्धिप्रदं कामदम्‌ ॥

    ॐ श्री गणेशाय नमः,ध्यानार्थे अक्षतपुष्पाणि समर्पयामि ।

    ॐ श्री गणेशाय नमः, पाद्यं, अर्घ्यं, आचमन्यं, स्नानं समर्पयामि।

    सूर्य का ध्यान

    सुबह स्नान आदि करने के बाद तांबे के लोटे से भगवान सूर्य को जल अर्पित करें। इसके साथ ही लाल रंग का फूल चढ़ाएं और इस मंत्र के साथ ध्यान करें।

    रक्ताम्बुजासनमशेषगुणैकसिन्धुं

    भानुं समस्तजगतामधिपं भजामि।

    पद्मद्वयाभयवरान्‌ दधतं कराब्जै-

    र्माणिक्यमौलिमरुणांगरुचिं त्रिनेत्रम्‌॥

    ॐ श्री सूर्याय नमः, ध्यानार्थे अक्षतपुष्पाणि समपर्यामि ।

    ॐ श्री सूर्याय नमः, पाद्यं, अर्घ्यं, आचमन्यं, स्नानं समर्पयामि।

    दुर्गा का ध्यान

    रोजाना नियमित रूप से मां दुर्गा का पूजा करने के साथ इस ध्यान मंत्र को बोले।

    सिंहस्था शशिशेखरा मरकतप्रख्यैश्चतुर्भिर्भुजैः

    शंख चक्रधनुः शरांश्च दधती नेत्रैस्त्रिभिः शोभिता।

    आमुक्तांगदहारकंकणरणत्काञ्चीरणन्नूपुरा

    दुर्गा दुर्गतिहारिणी भवतु नो रत्नोल्लसत्कुण्डला॥

    ॐ श्री दुर्गायै नमः, ध्यानार्थे अक्षतपुष्पाणि समपर्यामि ।

    ॐ श्री दुर्गायै नमः, पाद्यं, अर्घ्यं, आचमन्यं, स्नानं समर्पयामि।

    शिव का ध्यान

    रोजाना शिवलिंग में जलाभिषेक, दूधाभिषेक करने के साथ-साथ बेलपत्र, धतूरा आदि चढ़ाएं। इसके साथ ही शिव जी के इन मंत्र से ध्यान करें।

    ध्यायेन्नित्यं महेशं रजतगिरिनिभं चारूचंद्रावतंसं

    रत्नाकल्पोज्ज्वलांग परशुमृगवराभीतिहस्तं प्रसन्नम्‌ ।

    पद्मासीनं समन्तात्‌ स्तुतममरगणैर्व्याघ्रकृत्तिं वसानंविश्वाद्यं विश्वबीजं निखिलभय हरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम्‌ ।

    ॐ नमः शिवाय,ध्यानार्थे अक्षतपुष्पाणि समर्पयामि ।

    ॐ नमः शिवाय, पाद्यं, अर्घ्यं, आचमन्यं स्नानं समर्पयामि।

    विष्णु का ध्यान

    भगवान विष्णु जी की पूजा करने के साथ पीला चंदन और पीले रंग के फूल चढ़ाएं। इसके साथ ही इस मंत्र के साथ ध्यान करें।

    उद्यत्कोटिदिवाकराभमनिशं शंख गदां पंकजं

    चक्रं बिभ्रतमिन्दिरावसुमतीसंशोभिपार्श्वद्वयम्‌।

    कोटीरांगदहारकुण्डलधरं पीताम्बरं कौस्तुभै-

    र्दीप्तं श्विधरं स्ववक्षसि लसच्छीवत्सचिह्रं भजे॥

    ॐ श्री विष्णवे नमः,ध्यानार्थे अक्षतपुष्पाणि समर्पयामि ।ॐ विष्णवे नमः, पाद्यं, अर्घ्यं, आचमन्यं, स्नानं समर्पयामि।

    डिसक्लेमर

    'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'