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Navratri 2019 Maa Kushmanda Puja Vidhi and Mantra: नवरात्रि के चौथे दिन करें मां कुष्मांडा की पूजा, ये है मंत्र और महत्व

Navratri 2019 Maa Kushmanda Puja Vidhi and Mantra शारदीय नवरात्रि का आज चौथा दिन है। इस दिन मां दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है।

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Tue, 01 Oct 2019 01:06 PM (IST)Updated: Wed, 02 Oct 2019 10:25 AM (IST)
Navratri 2019 Maa Kushmanda Puja Vidhi and Mantra: नवरात्रि के चौथे दिन करें मां कुष्मांडा की पूजा, ये है मंत्र और महत्व
Navratri 2019 Maa Kushmanda Puja Vidhi and Mantra: नवरात्रि के चौथे दिन करें मां कुष्मांडा की पूजा, ये है मंत्र और महत्व

Navratri 2019 Maa Kushmanda Puja Vidhi and Mantra: शारदीय नवरात्रि का आज चौथा दिन है। नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप की विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। मां कुष्मांडा संसार को अनेक कष्टों और विपदाओं से मुक्ति प्रदान करती हैं। वह अपने भक्तों के दुखों को दूर करती हैं। माता को लाल रंग पुष्प अधिक प्रिय है, पूजा के दौराना देवी कुष्मांडा को आप गुड़हल का पुष्प अर्पित कर सकते हैं। माता की विधि विधान से पूजा के बाद आप दुर्गा चालीसा और मां दुर्गा की आरती जरूर करें।

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कैसे देवी का नाम पड़ा कुष्मांडा

कुष्मांडा का अर्थ होता है कुम्हड़ा। मां दुर्गा असुरों के अत्याचार से संसार को मुक्त करने के लिए कुष्मांडा अवतार में प्रकट हुईं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, देवी कुष्मांडा ने पूरे ब्रह्माण्ड की रचना की है। ऐसी मान्यता है कि पूजा के दौरान उनकी कुम्हड़े की बलि दी जाए तो वे प्रसन्न होती हैं। ब्रह्माण्ड और कुम्हड़े से उनका जुड़ाव होने कारण वे कुष्मांडा के नाम से विख्यात हैं।

मां कुष्मांडा का स्वरूप

मां कुष्मांडा को अष्टभुजा भी कहा जाता है क्योंकि उनकी आठ भुजाएं हैं। इनके हाथों में धनुष, बाण, चक्र, गदा, अमृत कलश, कमल और कमंडल है। वहीं एक और हाथ में वे सिद्धियों और निधियों से युक्त जप की माला धारण करती हैं। माता कुष्मांडा सिंह पर सवार होती हैं।

मंत्र

ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥

प्रार्थना

सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।

दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

पूजा विधि

शारदीय नवरात्रि के चौ​थे दिन बुधवार को प्रात:काल में स्नानादि से निवृत होने के बाद मां दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप की विधिवत पूजा करें। पूजा में मां को लाल रंग का पुष्प, गुड़हल या गुलाब, सिंदूर, धूप, गंध, अक्षत् आदि अर्पित करें। सफेद कुम्हड़े की बलि माता को अर्पित करें। इसके बाद देवी को दही और हलवा का भोग लगाएं।

मां कुष्मांडा के अंदर पूरा ब्रह्माण्ड समाया है। वह हम सभी को अपार ऊर्जा प्रदान करती हैं। पूजा करने के बाद आप मां कुष्मांडा के समक्ष अपनी मनोकामनाएं प्रकट कर दें और पूजा के दौरान हुई कमियों के लिए क्षमा प्रार्थना कर लें।


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