Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Navratri 2019 Maa Durga Ki Utpatti: देवताओं के तेज से उत्पन्न हुई थीं मां दुर्गा, पढ़ें रोचक कथा

    By kartikey.tiwariEdited By:
    Updated: Wed, 25 Sep 2019 02:45 PM (IST)

    Navratri 2019 Maa Durga Ki Utpatti Story of Maa Durga Origin maa durga ka janm kab hua मां दुर्गा की उत्पत्ति कैसे हुई। मां दुर्गा में अपार शक्ति कहां से आई?

    Navratri 2019 Maa Durga Ki Utpatti: देवताओं के तेज से उत्पन्न हुई थीं मां दुर्गा, पढ़ें रोचक कथा

    Navratri 2019 Maa Durga: नवरात्रि का प्रारंभ 29 सितंबर से हो रहा है, जो 8 अक्टूबर को विजयादशमी के साथ संपन्न होगा। नवरात्रि में शक्तिस्वरूपा मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है, लेकिन सबसे के मन में यह सवाल हो सकता है कि मां दुर्गा की उत्पत्ति कैसे हुई। मां दुर्गा में अपार शक्ति कहां से आई? उनकी 18 भुजाओं में प्रभावी अस्त्र कैसे मिले? तो इस नवरात्रि हम आपको बता रहे हैं कि आदिशक्ति मां दुर्गा की उत्पत्ति कैसे हुई?

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मां दुर्गा की उत्पत्ति की कथा

    पुराणों में मां दुर्गा की उत्पत्ति की कथा मिलती है, जो इस प्रकार है। देवता असुरों के अत्याचार से बेहद परेशान और दुखी थे। इसके समाधान के लिए वे ब्रह्मा जी के पास गए। ब्रह्मा जी ने उनको बताया कि दैत्यराज का वध एक कुंवारी कन्या के हाथ से ही होनी निश्चित है। इसके बाद सभी देवताओं ने मिलकर अपने तेज को एक जगह समाहित किया, जिसे मां दुर्गा उत्पत्ति हुई।

    भगवान शिव के तेज से बना मां दुर्गा का मुख

    देवों के देव महादेव शिव शंकर के तेज से माता का मुख बना, श्री हरि विष्णु के तेज से भुजाएं, ब्रह्मा जी के तेज से माता के दोनों चरण बनें। यमराज के तेज से मस्तक के केश, चंद्रमा के तेज से स्तन, इंद्र के तेज से कमर, वरुण के तेज से जंघा, पृथ्वी के तेज से नितंब, सूर्य के तेज से दोनों पौरों की अंगुलियां, प्रजापति के तेज से सारे दांत, अग्नि के तेज से दोनों नेत्र, संध्या के तेज से भौंहें, वायु के तेज से कान तथा अन्य देवताओं के तेज से देवी के भिन्न-भिन्न अंग बने।

    मां दुर्गा ऐसे बनी आदिशक्ति

    मां दुर्गा की उत्पत्ति होने के बाद उनको असुरों पर विजय प्राप्ति के लिए अपार शक्ति की जरूरत थी। तब भगवान शिव ने उनको अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने चक्र, हनुमान जी ने गदा, श्रीराम ने धनुष, अग्नि ने शक्ति व बाणों से भरे तरकश, वरुण ने दिव्य शंख, प्रजापति ने स्फटिक मणियों की माला, लक्ष्मीजी ने कमल का फूल, इंद्र ने वज्र, शेषनाग ने मणियों से सुशोभित नाग, वरुण देव ने पाश व तीर, ब्रह्माजी ने चारों वेद तथा हिमालय पर्वत ने माता को सवारी के लिए सिंह दिया।

    इनके अलावा मां दुर्गा को समुद्र से कभी न फटने वाले दिव्य वस्त्र, चूड़ामणि, उज्जवल हार, हाथों के कंगन, पैरों के नूपुर, दो कुंडल और अंगुठियां मिलीं। इन सभी अस्त्र-शस्त्र और अन्य वस्तुओं को माता दुर्गा ने अपनी 18 भुजाओं में धारण किया।

    मां दुर्गा का यह विराट और भव्य स्वरूप असुरों में भय पैदा करने वाला था। मां दुर्गा के पास सभी देवताओं की शक्तियां हैं। उनके जैसा कोई दूसरा शक्तिशाली नहीं है, उनमें अपार शक्ति है, उन शक्तियों का कोई अंत नहीं है, इसलिए वे आदिशक्ति कहलाती हैं।